नमस्कार ! दोस्तो, मैं संदीप कुमार 'विश्वास' अपना यह तीसरा 'एकल संग्रह' 'रेणु जी की यादें', मेरे अपने दादा स्वर्गीय फणीश्वरनाथ रेणु जी को समर्पित कर रहा हूँ। इस पुस्तक का नाम भी मैंने अपने दादा फणीश्वरनाथ रेणु जी के नाम पर रखा है, उनके नाम से पुस्तक का नाम इसलिए रखा मैंने क्योंकि इस पुस्तक में मेरी अनेक रचनाएँ 'दादा' जी से संबंधित है, और उनकी यादों को इस संग्रह में अपनी रचनाओं के माध्यम से मैंने सहेजने का प्रयास किया है। दादा' जी तो अब इस दुनिया में नहीं रहे, पर उनकी यादें ऐसे व्यर्थ में जाने नहीं दूँगा, इसलिए मैं उनकी यादें आप सभी साहित्य प्रेमियों के बीच अपने इस 'एकल संग्रह' के' माध्यम से शेयर कर रहा हूँ। मेरी यह पुस्तक मैं अपने दादा स्वर्गीय फणीश्वरनाथ रेणु जी को, तमाम साहित्य प्रेमियों को तथा समस्त, 'रेणु गाँव' के वासियों को समर्पित करता हूँ। आशा करता हूँ आप सभी पाठकों को मेरा ये तीसरा 'एकल संग्रह' 'रेणु जी की यादें' बेहद पसंद आएगा, अपना स्नेह सदैव बनाए रखिएगा।
धन्यवाद एवं आभार आप सभी का।
✍ संदीप कुमार 'विश्वास'