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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palसमाज की नजर से एक स्त्री
साहित्य में रचित कहानियाँ हो या कविताएँ, इतिहास में वैदिक काल से ही जितनी भी रचनाएँ अंकित की गयी, सभी में स्त्री की भूमिकाओं का उल्लेख एक अहम भूमिका में निभाया गया है। स्त्रीत्व की परिभाषा से लेकर उसके मान, सम्मान, महत्त्व, वैभव, सौंदर्य को विशाल शब्दों में बड़ी जटिलता के साथ अपार सुंदरता से व्यक्त किया गया है, किंतु निराशा तो यह है, कि जितनी महत्वता किताबों में स्त्री को दी गई वो वास्तविकता में एक स्त्री को कभी प्राप्त ही नही हुई। अपना अस्तित्व, अपनी जगह बनाने के लिए हर मोड़ पर उसे संघर्ष ही करना पड़ा, और प्रत्येक रूप में उसे देनी पड़ती रही परीक्षा। जिसमें तोला जाता है उसे कभी उसकी रुपरेखा से, कभी उसके रंग से, उसके शहरी या ग्रामीण होने से, तो कभी उसके हँसने बोलने से, उसकी सोच उसकी पहचान तो जैसे महत्त्वहीन हो जाती है, और दुनिया के लिए वो बस एक स्त्री होती है एकमात्र ईश्वर द्वारा रचित एक सुंदर काम रूपी देह, जिसका अस्तित्व मजदूरी मात्र रह जाता है, जो निर्मल होती है बहते जल के समान, किंतु स्वयं की इच्छा के अनुरूप उसे बहने भी नही दिया जाता। सभी रंगना चाहते हैं उसे अपने अपने रंग में। आजाद भारत
का ये कैसा दुर्भाग्य है, कि अपार संघर्षो के उपरांत मिली ये स्वतंत्रता महज पुरुषों की विरासत बन कर रह गई। आर्यावत की पावन धरती स्त्रीत्व के लिए बेड़ियों की भाँति स्थिर रह गयी। संभवतः कोई स्त्री शायद ही जान पाई होगी वास्तविक आजादी के उन मुक्त अहसास को।
पंख दिये, आसमाँ दिखाया और रास्ता भी बताया, लेकिन उड़ान भरने से ठीक पहले कुतर दिये उसके पंख या फिर कैद कर दिया उसे इज्जत के दकियानुसी पिंजरे में।
निखिल जैन, शैली जैन
निखिल जैन, एक लेखक हैं, जो की धुले, महाराष्ट्र से संबंध रखते है। इन्हे अपना ज्ञान दूसरो के साथ साझा करना, यात्रा करना, नई नई खोज करना और रचनात्मकता का बेहद शौक रखते है। इन्हें लिखना पसंद है, और इनका मानना है, कि लेखन से हम अपनी आंतरिक भावनाओं का भली भांति बखान कर सकते है। ये 30 से अधिक पुस्तकों के संकलनकर्ता रह चुके है और इनके स्वयं के दो ऑनलाइन प्रकाशन "Unité Publication" और love.vibes143
भी है। इनसे जुड़ने के लिए आप संपर्क कर सकते हैं
इंस्टाग्राम : @love.vibes143
ईमेल -love.vibes143@outlook.com
शैली जैन एक छोटे से गाँव बरोदिया, कलां सागर (मध्यप्रदेश) की रहने वाली महत्वाकांक्षी, सादगी से पूर्ण तथा सरल व्यक्तित्त्व रखती हैं। ये अभी तक १००+ संकलनों में सह लेखिका रह चुकी हैं।एवं "लफ्जों का खेल", राखी प्रेम का धागा, फेक स्माइल, मूडी फूडी, और ब्लैक रोज, जैसी किताबें इन्होनें स्वयं संकलित की है। "दिल्ली टू आगरा" इनकी प्रथम सोलो किताब है। एक साल पहले ही इन्होनें अपनी लेखन कला को बढ़ावा दिया इन्हें कहानी व कविताएं लिखना बहुत पसंद है। इनकी कविताएं अक्सर इनकी भावनाओं को व्यक्त करती हैं।
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