Share this book with your friends

Aakanksha / आकांक्षा

Author Name: Deepika Jha | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

मधुबनी से ताल्लुक रखने वाली युवा हिन्दी एवं मैथिली लेखिका फिलहाल पुणे (महाराष्ट्र) में रहती हैं। दीपिका जी दहेज मुक्त मिथिला समूह से जुड़ी हुई हैं। लेखन में विषेश रुचि होने के चलते कई बार गीत एवं कविताएँ सोशल मीडिया एवं विभिन्न ऑनलाइन लेखन वेबसाइट पर प्रकाशित हो चुकी है। प्रस्तुत पुस्तक में दीपिका जी अपनी कुछ रचनाओं को "आकांक्षा" के रूप में प्रकाशित की है। यह पुस्तक कविता और गीत का संग्रह है। इनका मानना है कि जब तन मानव का है तो मन निश्चित ही महत्वाकांक्षी है। महत्वाकांक्षा यदि सबल हो और उसमें यदि किसी का नुक़सान छुपा ना हो तो उसे अपने आकांक्षा में परिवर्तित कर उसको साकार करने का प्रयत्न हम सभी को करना चाहिए। इस पुस्तक के द्वारा लेखिका ने अपने मनोभाव को शब्दों में पिरो के दूसरों तक पहुँचाने का और एक सकारात्मक ऊर्जा को संवहन करने का प्रयास किया है। चुनौतियाँ मानव जीवन की परछाई है, हमें चुनौतियों से लड़ कर आगे बढ़ना है और अपने सपनों को ज़िंदा रखना है।

अपने इस पुस्तक से प्राप्त होने वाली राशि को इन्होंने ज़रूरतमंद बच्चों के पढ़ने में खर्च करने का निर्णय लिया है। जिससे शिक्षा का प्रकाश आकांक्षा का रूप ले आगे बढ़े।

Read More...
Paperback

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

दीपिका झा

पेशे से शिक्षिका, युवा हिंदी एवं मैथिली लेखिका दीपिका झा का जन्म मधुबनी, बिहार में हुआ था।, फिलहाल दहेज मुक्त मिथिला समूह की मोडरेटर और एक गृहिणी है। पढ़ाई में इन्हें बचपन से बहुत रूचि थी, कक्षा में हमेशा प्रथम आती थी। ये जब नौ महीने की थी तो इनके पिता का स्वर्गवास हो गया। ये अपनी माँ की एकलौती संतान हैं, इनकी माँ ने बहुत संघर्ष करके इन्हें पढ़ाया-लिखाया लेकिन समस्याएं इतनी जटिल होती गई कि इनकी शादी करने के लिए, इनकी माँ को मजबूर होना पड़ा । जब ये सिर्फ १६ वर्ष की थी और सिर्फ १२वीं पास की थी तभी इनकी शादी हो गई । उसके बाद पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने में पाँच वर्ष यूँही निकल गये । इन परिस्थितियों ने इन्हें  अंदर से बहुत निराश कर दिया था। पढ़ाई छूट गई, जल्दी शादी हो 

गई, बच्चे-परिवार की जिम्मेदारी सब इतनी कम उम्र में इनके कंधों पे आ गई। ऐसे समय में इनके पति इनकी प्रेरणा बने, उन्होंने आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया। आगे की पढ़ाई शुरू की। आज इनकी एक अपनी पहचान है। दीपिका जी स्कूल में पढ़ाती थी, कुछ सामाजिक कार्यों से भी जुड़ी हुई हैं, दो बच्चों को सम्हाल रही हैं, अपनी माँ का ध्यान रख रही हैं और उसके साथ-साथ अपने सपनों को भी पूरा कर रही हैं ।

दीपिका जी, सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए हमेशा संलग्न रहती हैं। समाज को दूषित कर रही दहेज प्रथा का पुरजोर विरोध करते हुए तथा इसके निदान के लिए सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपना बहुमूल्य समय और विचार व्यक्त करती रहती हैं।

अपनी कुछ रचनाओं को "आकांक्षा" के रूप में प्रकाशित करने का इन्होंने विचार किया है। इनके इस प्रकाशन में कविता और गीत का संग्रह है। अपने इस पुस्तक से प्राप्त होने वाली राशि को इन्होंने ज़रूरतमंद बच्चों के पढ़ने में खर्च करने का निर्णय लिया है। जिससे शिक्षा का प्रकाश आकांक्षा का रूप ले आगे बढ़े।

Read More...

Achievements

+5 more
View All