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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palबारिश मे सौंधी मिट्टी की खुशबू का आनंद लेते हुए , कागज की नाव बनाकर , कुछ उछल कूद करते बच्चे , सामाजिक लू के थपेड़ों से बचने के लिए भीगते प्रेमी जोड़े , चाय की टपरी पर खड़े चार यार-दोस्त , कौआ , गौरैया , कुत्ता , बंदर सब कितनी बातें करते होंगे न ? योग्य एवं मनचाहा वर पाने को सावन के सोमवार का व्रत रखती युवतियाँ , साजन के दर्शन मात्र आतुर पत्नियाँ कैसे झूले डाल कर भरी दुपहरिया में कुछ गुनगुनाती होंगी , कभी अपने प्रिय की प्रशंसा तो कभी उलाहना देती होंगी , इस किताब में संकलक द्वारा उन सभी के मनोभावों को संकलित करने की कोशिश की गई है । इसमें सह लेखकों का योगदान प्रशंसनीय है , हम सदैव उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं । आशा करते हैं आपको यह काव्य -संग्रह पसंद आएगी ।
पाऊँ कहाँ मैं गाँव वो बारिश वो बचपना
काग़ज़ की एक नाव बनाई हुई तो है..
'इरशाद ख़ान सिकंदर'
अपूर्वा सूर्यवंशी शेरनी
अपूर्वा- बोल्ड और क्यूट उन्हें बेहतरीन तरीके से परिभाषित करती है। वह 7 साल की उम्र से लिख रही हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य साहित्यिक क्षेत्र की सेवा करना है। उनमें कुछ भी और सब कुछ सीखने का उत्साह है क्योंकि उनका मानना है कि कोई भी पूरी तरह से ज्ञानी नहीं हो सकता है और उसने खुद को देवी सरस्वती को समर्पित कर दिया है। जैसा कि उसका उपनाम शेरनी कहता है, वह किसी भी कठिनाई का बहादुरी से सामना करती है।
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