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Aazadi Ke Din / आजादी के दिन Swatantrata Divas Par Aadharit Sanklan

Author Name: Srishti Shivhare | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

नमस्कार मित्रों मेरी नई पुस्तक " आजादी के दिन " में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरी इस पुस्तक में भिन्न भिन्न लेखक लेखिकाओं ने आजादी, स्वतंत्रता दिवस, स्वतंत्रता सेनानी,वीर सपूतों,भारत के वीर जवान, देशप्रेम, देशभक्ति आदि विषयों पर अपने विचार साझा किए हैं ।
ये सभी लेखक लेखिकाएं देश के हर कोने छोटे , बड़े शहर , गांव , कस्बे से आते हैं । इस पुस्तक में सभी लेखक लेखिकाओं के लेख का संकलन है । 
इस पुस्तक की संकलन कर्ता सृष्टि शिवहरे जी ने अलग अलग प्रांतों से ऐसे लेखकों को चुना है जो अपना लेख प्रकाशित होने का सपना वर्षों से संजोए थे , उनके उन सपनों को साकार करने का प्रयास किया है । और सृष्टि शिवहरे का मुख्य उद्देश्य यही है कि ऐसे प्रत्येक लेखक लेखिकाओं के सपनों को एक उम्मीद की नई किरण देकर उन्हें और आगे जाने के लिए प्रोत्साहित करना है ।
उम्मीद है आप सभी को ये पुस्तक पढ़कर भिन्न भिन्न प्रांतों से आए लेखक लेखिकाओं एवं उनके विचारों से रूबरू होने का मौका मिलेगा और आप भी एक देशभक्त होने के नाते देश को प्रगति की ओर ले जाने का प्रयास करेंगे ।। और आप मेरी इस पुस्तक को उससे अधिक प्यार दोगे जितना अब तक की पुस्तकों को दिया है आपके प्यार के कारण ही आज मैं यहां हूं और सबकी मदद कर पा रही हूं ।

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सृष्टि शिवहरे

इनका नाम सृष्टि शिवहरे है । महत्वाकांक्षी लेखकों के लिए, सृष्टि शिवहरे एक महान प्रेरणा हैं ।  इन्होंने 30 से अधिक पुस्तकों में अपने महत्वपूर्ण योगदान के साथ अपना लेख प्रकाशित किया है, इनकी स्वयं को 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिसमे से आठ संकलन हैं जिनको स्वयं इन्होंने ही संकलित किया है । ये पढ़ाई में होनहार छात्राओं में से एक है , इन्होंने भारत के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी की है और बीएससी में प्रथम श्रेणी प्राप्त की  इसके अलावा इन्होंने आई.टी.आई. ( इलेक्ट्रिकल C.O.E ) का डिप्लोमा किया है जिसे भी इन्होंने प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया है । इन्हें लेखन के प्रति रूचि अपने पिताजी से मिली ..
इनके पिता स्व. रामहरी शिवहरे जी और माता श्री मति ममता शिवहरे जी हैं । इनके पिताजी ने शायरी, ग़ज़ल और अन्य साहित्यिक कृतियों के गायन से इन्हें प्रोत्साहन दिया । बाल्य काल की उम्र से ही महज छठवी कक्षा से ही इन्होंने कविता लिखना शुरू कर दिया था । ऐसे ही इनकी रुचि लेखन के प्रति बढ़ती गई ।
दुर्भाग्यपूर्ण आज इनके पिताजी इनके साथ नहीं हैं पर वह अपने पिता को आज भी बहुत याद करती है । इनके लेखिका बनने का सपना इनके पिता का ही था जो इन्होंने उस सपने को साकार कर दिखाया । और आगे और बड़ी लेखिका बनने के लिए ये अग्रसर है । और ऐसे लेखकों को जो अपनी कविता प्रकाशित करने का सपना संजोए हैं उनके सपनों को साकार करना इनका मुख्य उद्देश्य है । ये हमेशा नए नए लेखक लेखिकाओं को खोजती रहती हैं जिससे ये उनके सपने को पूरा करने में कुछ सहायता कर सके ।इनके
पिता जी के जाने के बाद इनकी मां ने ही इन्हें लेखन के लिए प्रोत्साहित किया और आज भी करती है ।। इनकी पुस्तकें जो कि स्व संपादित एवं स्वरचित है जो कि वैश्विक स्तर पर हर प्लेटफार्म पर उपलब्ध है।

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