Share this book with your friends

Akhiri Tasveer / आखिरी तस्वीर

Author Name: Rakesh Sharma | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

"आखिरी   तस्वीर" मे लेखक  अपने जीवन के कुछ अनुभवों को साझा करते हुए ये बताना चाह रहे है कि प्रेम में विरह व्यथा ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है कुछ गजलें और कविता के माध्यम से आइये हम इसे पढते है 
शब्द वो जो हृदय को कुरेदते हुए एक घाव बन जाये और ताउम्र वैसे ही बना रहे एक बोझिल मन के साथ रिश्ते की वो दीवार जो देखने में बेहद खुबसूरत है लेकिन अंदर से उतनी ही जर्जर 
ऐसे ही पीड़ा में लिप्त है "   आखिरी तस्वीर" का हर पन्ना जो लेखक और लेखिका के एहसासों और जज्बातों से लिखा गया है

Read More...
Paperback
Paperback 150

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

राकेश शर्मा

राकेश शर्मा का जन्म4 नवंबर 1991 में मध्य  प्रदेश के सागर जिले में हुआ  इनके पिता जी का नाम "श्री माखनलाल शर्मा" जो कि रिटायर फॉरेस्ट ऑफिसर हैं और माता का नाम "शशि शर्मा" जो कि हाउसवाइफ है  इन्होंने स्नातकोत्तर की शिक्षा बी.जे.सी (मास कम्युनिकेशन) डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर से प्राप्त की  यह एक शिक्षक होने के साथ-साथ एक मोटिवेशनल स्पीकर सोशल वर्कर एस्ट्रोलॉजिस्ट और लेखक भी हैं।  
इनकी पहली किताब स्याही के रंग जो कि एक संकलन थी उस और उस किताब ने इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपनी जगह बनाई, और इनकी दूसरी किताब "मेरिकल आफ थाट्स विचारों का चमत्कार" जो पाठकों को काफी पसंद आई और कुछ न कुछ सिखने को मिला लोगों को अब क्या लिखा जाए इनके बारे में एक तरह से ऑल राउंडर कह सकते हैं इन्होंने ना जाने कितने गरीबों और असहायों की मदद कि और उनको एक अच्छा रास्ता दिखाया सच तो यही है कि ऐसे लोगों की जरूरत है हमारे देश में जो अपने चरित्र को चरितार्थ कर अपने माँ बाप की परवरिश का डंका बजा जाये शतकोटि नमन् है उस मां को जिसने राकेश शर्मा को जन्म दिया!

लक्ष्मी सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूराबघेला गाँव में 7 नवंबर 1999 मे हुआ इनके पिता जी का नाम "श्री राजेश्वर सिंह" जो कि पेशे से एक किसान है और माँ का नाम "ऋतु सिंह" जो कि बाल विकास परियोजना के तहत शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं गाँव के विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद एम. एस इंटर कॉलेज से 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की तत्पश्चात आर.एल   पी.जी कालेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। 
इनके दादा जी "स्व. मंगला प्रसाद सिंह (मंगलेश) " जी हिन्दी साहित्य के शिक्षक होने के साथ - साथ एक कवि और समाज सेवी भी थे। 
लक्ष्मी को बचपन से ही लिखने का बहुत शौक था लेकिन इनके सपने कुछ और ही थे रेलवे में नौकरी करने का इनका सपना था बहुत कोशिशों के बाद भी ये सफल न हो सकीं फिर इन्होंने लिखना प्रारंभ किया और बहुत ही कम दिनों में अपनी एक अलग बना लीं इनकी पहली पुस्तक "स्याही के रंग" जिसे "लक्ष्मी सिंह" और "राकेश शर्मा" ने लिखा  उस किताब ने 
इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड मे जगह बनायीं
और दुसरी किताब " मेरा सफरनामा " जो  महज़ 5 दिनों में लिखी गई थी 
इन्होंने 23 संकलन में सह लेखिका के रूप में कार्य किया और बहुत ही बेहतरीन प्रदर्शन रहा इनका क्योंकि लोगो को इनकी रचनाएँ काफी पसंद आयीं ये 87सम्मान प्रमाण पत्रों द्वारा सम्मानित की जा चुकीं है भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और अफ्रीका के लेखकों के साथ भी कार्य किया और 2021 में सबसे ज्यादा उपलब्धियां कि जिसकी वजह से इनको अचीवमेंट आफ द ईयर का अवार्ड मिला!

Read More...

Achievements

+9 more
View All