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Andhera Ujala / अंधेरा उजाला Koyla Karmveeron ki Kahani / कोयला कर्मवीरों की कहानी

Author Name: Rajiv Ranjan | Format: Paperback | Genre : Business, Investing & Management | Other Details

दरअसल, कोयला उद्योग को दो बार आज़ादी मिली। एक आज़ादी 1947 में, जब हमारा देश आज़ाद हुआ और देश के विकास की बागडोर हम भारतीयों के हाथ में आई और दूसरी, जब कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण हुआ। आज़ादी के बाद भी इस उद्योग में उम्मीद के अनुसार तरक्की नहीं दिखी। आर्थिक लाभ के लोभ की मंशा से चंद पैसे वालों ने कोयले की खदानें चलानी शुरू कर दीं। बिलकुल अमानवीय माहौल में खदान मजदूर काम कर, किसी तरह अपना गुजारा कर रहे थे। वर्ष 1972 के मई में पहले कोकिंग कोयले की खदानें और पुनः मई, 1973 में सभी गैर-कोकिंग कोयले की खदानों का राष्ट्रीयकरण हुआ।

      हालाकि, यह किताब उद्योग के अंधेरे से उजाले में जाने की कहानी है, लेकिन इसके साथ-साथ आज की स्थिति में भविष्य की रूपरेखा और चुनौती पर भी चर्चा जरूरी महसूस की गयी। एक तरफ देश को ऊर्जा की जरूरत और दूसरी ओर पर्यावरण को बचाना। क्या यह दोनों संभव होंगे? क्या कहते हैं इस उद्योग के कर्णधार और क्या कहती है वर्तमान और भावी पीढ़ी।

       कोयला उद्योग की यात्रा और इससे जुड़े आज तक के सभी पहलुओं की कहानी है यह किताब – ‘अंधेरा उजाला’।

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राजीव रंजन

राजीव रंजन मिश्र (राजीव रंजन), कोल इंडिया लिमिटेड की सहयोगी कंपनी, वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) के सीएमडी रहे हैं। इस पद से उनकी सेवानिवतिृ 31 दिसम्बर, 2020 को हुई।

       लगभग 38 वर्षों से अधिक का अनुभव समेटे श्री मिश्र को कोयला उद्योग में एक शख्सियत के रूप में जाना जाता है।

       वेकोलि के सीएमडी के रूप में अपने 6 वर्ष के कार्यकाल के दौरान उन्होंने एक बीमार कंपनी को शिखर पर ले जाने का अद्भुत कार्य किया। आज वेकोलि को देश में सभी कोयला कंपनी में एक नयी सोच, एक नयी पहल करने वाली कंपनी माना जाता है। वह अपनी सकारात्मक सोच, लीक से हटकर पहल, मानव पूंजी के लिए किए जाने वाले कार्य और कोयला क्षेत्र में नयी परिकल्पना के लिए जाने जाते हैं। इनमें इको-माइन टूरिस्म, खदान के जल से कोल नीर,  खदान के ओवरबर्डेन से रेत प्रमुख हैं। माननीय प्रधानमंत्री ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में उनकी पहल की सराहना की।

      मानव संसाधन के विशेषज्ञ और एक कुशल रणनीतिकार, श्री मिश्र ने अपने कार्यकाल के दौरान कोयला उद्योग के कर्मियों को मानव पूंजी की तरह सहेज कर रखा, उनके साथ-साथ चल कर उद्योग में रिश्तों की एक नयी परिभाषा लिखी। उन्होंने वेकोलि में मानव पूंजी प्रबंधन की सकारात्मक विचारधारा को लागू कर वेकोलि को पहले ‘टीम वेकोलि’ और फिर ‘वेकोलि परिवार’ में परिवर्तित कर दिया।

      श्री मिश्र को एशिया पैसिफिक एचआरएम कांग्रेस के ‘मोस्ट पावरफुल एचआर प्रोफेशनल ऑफ इंडिया’ अवॉर्ड और ‘एलेट्स पीएसयू समिट लीडरशिप अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। उनके नाम कई और अवार्ड हैं। श्री मिश्र एक अच्छे वक्ता और एक अच्छे लेखक भी हैं। इसके पूर्व श्री मिश्र ने वेकोलि की अपनी यात्रा पर 2021 की शुरुआत में “असंभव संभव” किताब लिखी, जो अत्यंत प्रचलित हुई। उसे अमेज़न के बेस्ट सेलर में स्थान मिला। कोयला उद्योग के कर्मियों पर लिखी “आसमां में सुराख’, उनकी अगली कृति हुई, जो अगस्त, 2021 में प्रकाशित हुई। इस किताब को भी अमेज़न का बेस्ट सेलर होने का गौरव प्राप्त है।

     वेस्टर्न कोलफील्ड्स से सेवानिवृति के बाद एक वर्ष तक श्री मिश्र ने कोयला मंत्रालय, भारत सरकार में वरीय सलाहकार के रूप में काम किया। संप्रति, वे वर्ल्ड बैंक में वरीय ऊर्जा सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं।

     कोयला उद्योग विषय पर तीन किताबों की शृंखला की आखिरी कड़ी के रूप में श्री मिश्र की यह किताब ‘अंधेरा उजाला’ है, जो कोयला कर्मवीरों और कोयला उद्योग के इतिहास पर लिखी गयी है।

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