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Anurag se Vairagya Tak / अनुराग से वैराग्य तक

Author Name: Shreenath Gupta | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

चिंता करें बलाएं हमारी इस मायाजाल की।

जिसे छोड़कर जाना पक्का बानी सुन ले काल की ।।

 

नाथ मातु है प्रथम प्रभु लेकर शुभ आशीष ।

सदा सुखी जीवन रहे चलो उठाकर शीश ।।

 

शिक्षा है किस काम की, भूल गए मां-बाप ।

धर्म कर्म सब व्यर्थ है राम नाम का जाप ।।

 

सुख चाहूँ तो लालची ,दुख चाहूँ तो असहाय ।

भेद न माने सुख दुख में तब होते राम सहाय ।।

 

सब गुन भरा ना कोई ,सब में कमियां रहती ।

नजर हटा लो कमियों से, रिश्तों की धारा बहती ।।

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श्रीनाथ गुप्त

 श्री श्रीनाथ गुप्ता जी लेखन में रुचि रखते है और भारतीय वायु सेना,रिज़र्व बैंक में अपनी सेवाएं देने के पश्चात सेवानिवृत्त हो चुके है एवं स्वतंत्र लेखन करते है । 

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