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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकभी कभी कुछ न करने से भी आपकी जिन्दगी हमेशा के लिए बदल सकती है...हाँ ,शायद एक फोन कॉल!
एक फ़ोन कॉल न करने की अच्छाई के बदले आपको आपकी जिन्दगी में कुछ अच्छा मिल सकता है, बहुत अच्छा मिल सकता है, या अब तक का सबसे अच्छा मिल सकता है?
लेकिन हर अच्छाई के मायने...सबके लिए बिलकुल अलग होते हैं, कभी कभी अच्छाई के बदले, खून के दाग भी मिलते हैं। आइये देखते हैं, किसे क्या मिलाता है।
अविरल जैन
मध्यमवर्गीय परिवार का वो सपना जो किसी ने देखा भी नही, सोचा भी नही, क्योंकि जिस आसमान के नीचे सोते हुए खाब देखे जाते थे, उस आसमान में कभी ये तारे नजर ही नही आए, जो कहते है "आजा मेरे पास", उस सपने को "लेखन (राइटिंग)" के नाम से आज जी रहे हैं। इसी जीवन स्तर से उठकर जरूरत और बेबसी ने लेखन के दरवाजे पर खड़ा कर दिया था, और उसे जो अब किताबों में पढ़ा जाएगा।
अविरल जैन, मध्यप्रदेश के इंदौर शहर से हैं जो सर्दियों के मौसम 18 नवम्बर 1984 को जन्मे और खुद को शब्द्सेवक कहलाना पसंद करते हैं, क्योंकि वो मानते हैं कि सेवा धर्म सबसे कठिन है। अपने साथ "अहिंसाधारा" लिए कई कार्यक्षेत्रों में संघर्ष करते करते शब्दों की शरण में आने वाले इस लेखक को One-Liner और ग़ज़ल की भाषा ही समझ आती है, इसलिए उसी भाषा में बात करते हैं। इनकी कहानियों में भी "डायलाग" की कोई कमी नही होती, तो पन्ने उलटने में देर नही करनी चाहिए।
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