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AUR KITNE VAATAAYAN / और कितने वातायन

Author Name: Dr. Vinay Kumar Singhal | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

प्रारब्ध
॰॰॰॰॰

जैसे भगवान विष्णु के
सहस्त्रनाम हैं
वैसे ही मैंने प्रारब्ध के सहस्त्र रूप
और सहस्त्र रंग देखे हैं,
प्रारब्ध मेरे जीवन में
कभी अभद्र भाषा के रूप में, कभी 
झिड़कियों के रूप में, कभी गंदी गालियों के रूप में, कभी लात-जूतों के प्रसाद के रूप में, कभी छलावे के रूप में, कभी निरंतर पराजय और अपमान के रूप में, कभी मेरे साहित्य सृजन को घृणा और वितृष्णा की दृष्टि के रूप में
प्रस्तुत होता रहा है।

११.३०, २१-०५-२०२२
पालम विहार, गुरुग्राम

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डॉ. विनय कुमार सिंघल

कवि का संक्षिप्त परिचय :-

नाम : डॉ. विनय कुमार सिंघल 

जन्म-तिथि : ११ जुलाई, १९४९ (श्रावण का प्रथम सोमवार),

जन्म-स्थान : बाजार सीता राम, पुरानी दिल्ली- ११० ००६ ।

माता का नाम : स्व. श्रीमती प्रकाश वती

पिता का नाम : स्व. लाला प्रेम प्रकाश सिंघल

शैक्षणिक योग्यताः 
स्नातकोत्तर अध्ययन— गणित, अँग्रेज़ी, हिन्दी, विधि, पत्रकारिता, ज्योतिष।

रुचिएँ : पठन-पाठन, हस्त-रेखा अध्ययन, संगीत, साहित्य, कलाकृतियाँ, छायांकन।

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