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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहमारा देश कें वीरसूपतों नें हमारी स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने के लिए बहादुरी से लड़ाई लड़ी। वे अपने पीछे साहस, दृढ़ संकल्प और परम्पराओं की एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जो हमें आज भी प्रेरित करती है। हम इन नायकों को श्रद्धांजलि देते हुए इस पुस्तक का संकलन कर रहे हैं।
कई लेखकों की शब्दों के माध्यम से हम अपने पूर्वजों के जीवन और उपलब्धियों का जश्न मनाते हैं। भयंकर युद्धों में लड़ने वाले योद्धाओं से लेकर अज्ञात सीमाओं को पार करने वाले अग्रदूतों तक, आंदोलन को प्रेरित करने वाले नेताओं से लेकर असाधारण योगदान देने वाले आम लोगों तक, प्रत्येक कहानी मानव भावना और महानता के लिए उसकी क्षमता का एक प्रमाण है।
हम उन लोगों का सम्मान करते हैं जिन्होंने हमारे लिए मार्ग प्रशस्त किया है, जिन्होंने बलिदान दिया है ताकि हम आज की स्वतंत्रता का आनंद उठा सकें। हम उनके संघर्ष और उनकी जीत, उनकी खुशियों और उनके दुखों को याद करते हैं। हम उनकी विविधता और उनकी एकता का जश्न मनाते हैं।
तो आइए हम इन कविताओं को कृतज्ञता और विनम्रता के साथ विस्मय और प्रेरणा के साथ पढ़ें। हमें उस महानता की याद दिलाई जानी चाहिए जो हम में से प्रत्येक के भीतर हैं, एकता और दृढ़ संकल्प की शक्ति है। आइए हम अपने पूर्वजों की विरासत को जीवित रखते हुए और हमारे देश की प्रगति में अपना योगदान देकर उनका सम्मान करें।
मुस्कान केशरी और लिपिका भट्टी
मुस्कान केशरी स्व० मनोज केशरी जी और संध्या देवी जी की सुपुत्री हैं। मुस्कान केशरी जी एम. एस केशरी प्रकाशन की CEO है, साथ ही साथ वो एक लेखिका एवं कवयित्री हैं। मुस्कान एनसीसी कैडेट, ब्यूटीशियन, शिक्षिका भी हैं। मूल रूप से मुस्कान मुजफ्फरपुर, बिहार से ताल्लुक रखती हैं। इन्होने लेखन की शुरुआत की और धीरे - धीरे लेखन में इनकी रूचि बहुत ज्यादा हो गई। ये नये - नये विषयों पे कविता, कहानी लिखना पसंद करती हैं। ये 200 +काव्य संग्रह और 21 साझा संकलन की संकलनकर्ता रह चूँकी है।
मैं लिपिका भट्टी, भारत की राजधानी दिल्ली की निवासी हूँ। पढ़ने और लिखने का शौक मुझे बचपन से ही रहा है। बाल अवस्था में मुंशी प्रेमचंद्र और रविंद्र नाथ टैगोर जी की कहानियां व हरिवंशराय बच्चन जी की कविताओं से मुझे शब्दों को भावों में पिरोने की प्रेरणा मिली।
मेरे साहित्य जगत की शुरुआत छठी कक्षा में कविता लेखन से हुई ।मेरी कई कविताएं कॉलेज की मैगजीन में भी प्रकाशित हुई हैं। 'कलम अस्तित्व' जैसे प्रसिद्ध अखबार में भी मेरे कई लेख प्रकाशित हुए हैं। काव्य संकलन " बदलता भारतीय समाज " ऐवं भारतीय नृत्य " में भी मेरी रचनाएँ प्रकाशित हुई है।
शब्दइन , प्रतिलिपि, स्टोरीमिरर ,अमरउजाला काव्य जैसे कई मंचो पर भी मेरी अनेको कविताएं , लेख व कहानियां प्रकाशित व सराही जाती हैं।
आज मैं एक लेखिका होने के साथ विज्ञान एवं वैदिक मैथ्स की शिक्षिका भी हूं।बच्चो को पढ़ना व उनको जीवन में निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना मेरे जीवन का प्रमुख उद्देश है। विज्ञानं की शिक्षिका होने के बावजूद भी हिंदी भाषा और साहित्ये से मेरा विशेष लगाव है।
आज कई मंचो पर मै अपने शब्दों के ज़रिये सब के मन को छूने व अपने मन के भावो को जनसाधारण तक पहुँचने का निरंतर प्रयास कर रही हूँ। माँ सरस्वती के आशीर्वाद से ये खूबसूरत सफर जारी है,सभी के मन में अपना एक ख़ास स्थान बना सकूँ और सभी के मन को अपने शब्दों के भावो से छू पाऊं ,ऐसी कमान है।
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