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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palये छोटे नाटक हैं, 5 से 20 मिनट में मंचित होने वाले। आपको अलग-अलग शेड्स के नाटक मिलेंगे। मजेदार, सीरियस, समस्या प्रधान , स्त्री प्रधान, जागरूकता - इस पुस्तक में हर तरह के नाटक हैं । गाँधी जी की मौत के ऊपर एक गंभीर नाटक है, तो राम की अयोध्या वापसी के ऊपर एक धार्मिक नाटक है। भाग कर शादी, भारतीय पुलिस, आयुष्मान कार्ड, नर्स से शादी हास्य नाटक हैं। सैलरी 25 लाख, For God's Sake महिला सशक्तिकरण के ऊपर हैं । इसमें से कई नाटक छात्रों और युवाओं पर केंद्रित हैं। आज के स्टूडेंट्स हिंग्लिश बोलते हैं, कुछ अजीबो-गरीब शब्दों के साथ, लोकल भाषा का तड़का लगाकर । ऐसी ही भाषा आपको मेरे नाटकों में देखने को मिलेगी । नाटक में वैसी ही भाषा आनी चाहिए, जो आसानी से बोली जा सके, समझ में आ सके।
उम्मीद है आपको यह संकलन पसंद आएगा ।
डॉ कुमार संजय
राँची, झारखंड में पले-बढ़े कुमार संजय ने अंग्रेजी में बी.ए., एम.ए. और पीएच.डी. कर स्वयं को समृद्ध किया है। आपकी गिनती सॉफ्ट स्किल्स (कॅम्यूनिकेशन स्किल, स्पोकन इंग्लिश, ग्रुप डिस्कशन, पर्सनल इंटरव्यू और पर्सनाल्टी डेवलपमेंट) के श्रेष्ठ शिक्षकों में होती है। इन विषयों पर आपकी 18 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
आप झारखंड के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित अंग्रेजी शिक्षण संस्थान ‘स्पेनिन’ के संस्थापक और निदेशक हैं। हर वर्ष 800 से 1000 स्टूडेंट अपना सॉफ्ट स्किल्स इम्प्रूव करने के लिए ‘स्पेनिन’ ज्वायन करते हैं और सीखकर ज़िंदगी में ऊँचा मुकाम हासिल करते हैं। आप सॉफ्ट स्किल्स एक्सपर्ट के रूप में उच्च सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा अक्सर आमंत्रित किए जाते हैं।
इंग्लिश के व्याख्याता होने के साथ.साथ डॉ कुमार संजय हिंदी पर भी अद्भुत पकड़ रखते हैं।
डॉ. कुमार संजय नाटक लेखन के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। आप हिंदी और अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में नाटक लिखते हैं। अबतक आप सौ से ज्यादा नाटक लिख चुके हैं, ५० शार्ट फिल्में बना चुके हैं।
आप हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में नाटक लिखते हैं। अबतक आप सौ से ज्यादा नाटक लिख चुके हैं। आपकी 27 नाट्य पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। 2011 में आपको मोहन राकेश सम्मान से विभूषित करते हुए साहित्य कला परिषद नई दिल्ली ने टिप्पणी की थी - ‘कुमार संजय एक ऐसे रचनाकार हैं जिन्होंने भाषा की व्यंजना को अपनी रचना में महत्व दिया है। व्यंग्यात्मक, चुटीली, रसीली भाषा दर्शक से सीधा संवाद करने में कहीं अधिक कारगर होती है। पहली नजर में उनके विषय हल्के लग सकते हैं पर धीरे-धीरे उनकी परतें खुलती हैं तो बड़ी ही सरल, व्यंग्यात्मक भाषा में एक गंभीर विषय दर्शकों के सामने होता है। यही कुमार संजय की रचनात्मक विशिष्टता है।’
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