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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palभगिनी - उम्रभर की साथी
माँ तो नहीं, लेकिन माँ सा ही आँचल, माँ जैसी ममता, दुलार, प्रेम, डांट फटकार, सीख जिसके सानिध्य में हम गृहण करते हैं, वो होती है हमारी सहोदरा। जो अपने जन्म से, या जिसके साथ हम अपने जन्म से बंधन में बंध जाते हैं, हर मुश्किल घड़ी में जो हमसे पहले हमारे साथ खड़ी रहे, अपनी हर खुशी जिससे बाँटे बिना अधूरी है, जिसके अंदर हम अपनी माँ की छवि देखते हैं, वही तो होती है हमारी बहन, अब चाहे वो छोटी हो या बड़ी, बहन आखिर बहन ही होती है। कहते हैं, कि माँ के लिए कुछ भी लिख पाना असंभव है, तो फिर एक बहन जो हमारी दोस्त, संगिनी, भार्या होती है उसकी व्याख्या में कुछ भी वर्णन करना मुमकिन ही नहीं। भगिनी - उम्रभर की साथी में हमने सँजोये हैं ऐसे ही कुछ वर्ण कविताओं के रूप में, जिनसे माँ तुल्य बहन की व्याख्या सारगर्भित हो सके, आशा है पाठकों के हृदयतल में अपना स्थान बनाने में ये पुस्तक संपन्नता प्राप्त करेगी।।
निखिल जैन, गुंजन जोगिया
गूँजा विनोदि (गुंजन जोगिया), पोरबंदर, गुजरात से हैं। वे दो बच्चों की माँ है। वे अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातक है, लेकिन उन्हें अपनी मातृभाषा (हिंदी और गुजराती) से ज्यादा प्रेम है। उन्हें पढ़ने, लिखने, नृत्य, संगीत और घूमने का शौख है। वे १०० से ज्यादा एंथोलॉजिस के लिए लिख चुकी है।
निखिल जैन, एक लेखक हैं, जो की धुले, महाराष्ट्र से संबंध रखते है। इन्हे अपना ज्ञान दूसरो के साथ साझा करना, यात्रा करना, नई नई खोज करना और रचनात्मकता का बेहद शौक रखते है। इन्हें लिखना पसंद है, और इनका मानना है, कि लेखन से हम अपनी आंतरिक भावनाओं का भली भांति बखान कर सकते है। ये 30 से अधिक पुस्तकों के संकलनकर्ता रह चुके है और इनके स्वयं के दो ऑनलाइन प्रकाशन "Unité Publication" और love.vibes143 भी है। इनसे जुड़ने के लिए आप संपर्क कर सकते हैं - इंस्टाग्राम : @love.vibes143
ईमेल -love.vibes143@outlook.com
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