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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palपरम प्रिय कृपालु पाठक वृन्द !परम कारूणिक प्रभु की अनुकम्पा से "भगवद्- भजनावली" का यह नवीन संस्करण आपके हाथों में देते हुए हमें बड़ा हर्ष हो रहा है। देश में विभिन्न स्थानों पर पूज्यपाद स्वामी श्रीरामदासजी महाराजश्री के द्वारा सत्संग प्रवचन के मध्य या अन्त में सन्त-महापुरुषों के भक्ति, ज्ञान, वैराग्य पूर्ण भजन को सुनकर श्रोतागण भाव विभोर हो अत्यन्त आह्लादित होते हैं। उनकी उत्कण्ठा होती है कि ये प्रेरणादायी भजन लिखित रूप में उपलब्ध होवें।इस उत्कण्ठा एवं विशेष आग्रह ने ही पूज्य स्वामीजी द्वारा गाये जाने वाले भजनों का संग्रह करवा के समय-समय पर उन्हें परिवर्धित रूप में प्रकाशित करवाया था। पुस्तक की मांग को दृष्टिगत रखते हुए इस नये संस्करण को पूर्वापेक्षा अधिक उपयोगी तथा आकर्षक करने का प्रयास किया गया है।सन्तों के पदों को श्रद्धा तथा विश्वासपूर्वक श्रवण, मनन एवं गायन करने से जीव का अज्ञात काल से विस्मृत हुआ "प्रभु के साथ नित्य सम्बन्ध'' अनजान में सहज ही स्मृति-पटल पर उद्दभाषित होने लगता है। उस आनन्द से प्रेरित होकर असंख्य नर-नारी इन भागवत- जनों के मनो-मानस निःसृत पद्य-स्वरूपिणी, प्रेमज्ञानप्रवाहिनी दिव्य वाङ्गमयी गङ्गा में अवगाहन करके परम शान्ति प्राप्त करते आये हैं और प्राप्त करते रहेंगे। अस्तु.इस संग्रह में दिये भजनों के पठन, मनन, गायन से आपको जो प्रसन्नता होगी, वही मेरी इच्छित उपलब्धि है। किं बहुनाः
-स्वामी रामज्ञान दास
श्री रामदास जी महाराज
रामदास जी महाराज एक बहुत ही बड़े विद्वान और ज्ञानी गुरु थे, जिनका सम्पूर्ण जीवन जनमानस तक ज्ञान और भक्ति का प्रसार करने में बीता| वे अपनी कथा के माध्यम से सम्पूर्ण भारत के अलग अलग प्रांतों में ज्ञान का प्रकाश फैलते रहे| वे एक अद्वितीय वक्ता थे और उनके प्रवचन सुनने के लिए भक्तजन दूर दूर से उनके पास पहुंच जाते थे| उन्होंने अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगा दिया था| उनके द्वारा श्री रामवन कुटीर आश्रम बाराबंकी और हरिद्वार की स्थापना की गयी थी | वे श्री हनुमानजी के अनन्य भक्त थे| यह भजनावली उनके द्वारा गए गये भजनों का संग्रह है
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