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Bhooli Visari Smratiyan evam Sushma Katha ! / भूली विसरी स्मृतियॉ एवम सुषमा कथा ! SUSHMA Katha covers my memories with My beloved better Half Sushma !

Author Name: Vijay Swaroop Jain | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

यह पुस्तक विभिन्न क्षेत्रों की स्मृतियां ,जिसमें भारतीय स्टेट बैंक के साथ लगभग 39 वर्ष का सेवाकाल ,भारत के विभिन्न क्षेत्रों की यात्राएं,पारिवारिक रिश्ते और आत्मीयता के साथ मेरी स्वर्गीय पत्नी श्रीमती सुषमा जैन के साथ बीते हुए क्षणों का विवरण दर्शाते हुए एक उच्च कोटि की रचना बन गई है I पढ़ने योग्य है I कृपया पढ़ने के पश्चात अपनी प्रतिक्रिया / सुझाव / शिकायत अवश्य भेजें जिससे भविष्य के अंको में उन का समावेश किया जा सके I

इसी पुस्तक से  :

“------गांव में हमारे घर में डकैती पड़ी और डाकू घर का सभी सामान ले गए I ----------सुरक्षा व्यवस्था में एक छोटी सी चूक के कारण यह वारदात हुई I”

“----- शुरू से ही पैसे की अहमियत दोस्ती और पारिवारिक रिश्तो से उस समय भी अहम थी और आज तो और भी अधिक अहम गई है----------I”

“--------आचार्य श्री के वचन सत्य होने थे और हुए I ऐसे आचार्य श्री के चरणों में कोटि कोटि वंदन--------I”

“---------मैं मुसलमान हूं और मांस नहीं खाता हूं I बकरीद के दिन मैं घर में नहीं जाता और मस्जिद में रहता हूं ----------I” 

“-----------मुगल साम्राज्य की कट्टरता और बर्बरता का उदाहरण है --------------I”

“जीना जिंदगी को हर घड़ी भरपूर तुम

तुम्हारे साथ जीती जाऊँगी मैं भी !”

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विजय स्वरूप जैन

पुस्तक के लेखक श्री विजय स्वरूप जैन नेआगरा(उत्तर प्रदेश) जिले के एक छोटे से गांव उसायनी ,(वर्तमान में जिला फिरोजाबाद में ) ,से जिंदगी का सफर शुरू कर ,अवागढ़ (जिला एटा )और आगरा नगर में पढ़ लिख कर (B.Sc. , M.Sc - Maths) ,भारतीय स्टेट बैंक की विभिन्न शाखाओं में विभिन्न पदों ( Cashier/Clerk to Manager) पर कार्यरत रहकर हर क्षेत्र में काफी अनुभव प्राप्त किया है I बचपन में मात्र 5 दिन में माता-पिता दोनों का निधन के बाद ,जीवन में बहुत उतार चढ़ाव देखे और परिस्थितियों  से जूझते हुए अपने आप को प्रतिष्ठित किया I इन सब घटनाओं का विवरण रोमांचित करता है I

यात्राओं का शौक होने के कारण पत्नी/परिवार के साथ और उनके बिना भी बहुत यात्राएं की और उन सब की यादें शब्दों में संकलित की I  वर्ष 2020 में पत्नी का निधन होने के बाद उनकी यादों को भी संकलित किया I भारतीय स्टेट बैंक सेवाकाल के विभिन्न अनुभव भी इस पुस्तक में संकलित हैं I

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