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Bhukhe Pet Bhajan Na Hoyi Gopala / भूखे पेट भजन ना होई गोपाला एक आत्मकथा

Author Name: Rajinder Kumar Suryavanshi | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

प्रिय पाठकों, यह पुस्तक मेरी आत्मकथा है जो मेरे जीवन की घटी हुई घटनाओं को दर्शाती है। इसमें लिखी हर घटना सत्य है। जैसा कि आप सभी ने अनुभव किया होगा, हमारे जीवन में अनसुलझे प्रश्न होते हैं जिनके उत्तर हम सारी उम्र खोजते रहते हैं, लेकिन हमें उनके उत्तर नहीं मिलते। भूखे पेट भजन ना होई गोपाला, इस आत्मकथा के माध्यम से मैंने उन प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास किया है। इस कथा के शीर्षक में एक प्रश्न छिपा हुआ है, जिसका उत्तर इतना सरल नहीं है। मैंने उसे अपने शब्दों में इस प्रकार बयां किया है। भूखे पेट भजन ना होई गोपाला अर्थात जब तक प्राणी की तृष्णा शांत नहीं होगी, तब तक आप भगवान हरी की भक्ति सम्पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं कर पाएंगे और आप उन प्रश्नों में सदैव उलझे रहेंगे। मित्रों, मेरा आपसे अनुरोध है कि आप इस पुस्तक को अंत तक ज़रूर पढ़ें और अपने जीवन के उन अनसुलझे प्रश्नों के उत्तर पाइए। 

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राजिंदर कुमार सूर्यवंशी

श्री राजिंदर कुमार सूर्यवंशी बहुत सी चर्चित शैलियों में लिखते हैं, जैसे की हॉरर, रोमांस, सस्पेंस, ड्रामा, मर्डर मिस्टरी इत्यादि। उनकी कुछ चर्चित कहानियाँ हैं, दी ब्लाइंड लव, लूसी हत्या कांड, जालिम जमाना क्या जाने, एक थी कामिनी, क्राइम रिपोर्टर आर के एस, फाकता, सिसकियाँ आदि। वह अपने तीन बच्चों के साथ दिल्ली, भारत में रहते हैं।

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