You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal-- प्रस्तावना --
प्रिय पाठकों
सादर अभिवादन!
प्रस्तुत पुस्तक "बिखरे मन के फूल" को आप सबके समक्ष प्रस्तुत करते हुए मन बहुत ही हर्षित हो रहा है।
समानता-असमानता, अमीरी-गरीबी सांसारिक जीवन और समय चक्र की प्रदत्त ईश्वरीय गतिविधियाँ हैं। ऐसे में कवि हृदय की व्यग्रता और विकलता का कविता की पंक्तियों में श्रृजित या क्रमबद्ध होना स्वाभाविक है।
जैसा कि कविता के लिए यह बात युगों से विषय सम्यक रही है - " कविता आत्मा रुपी सागर में उठती विचार की लहरों/धाराओं से प्रस्फुटित वह पवित्र ज्ञानात्मक ध्वनि है,जो अक्षरों-शब्दों का रूप लेकर जगत कल्याण के लिए अवतरित होती है"।
साथियों मनके सागर में उठती भावनाओं को जो कि मानवीय संवेदनाओं का अनूठा अनुक्रम संजोए हिलोरें मारती हैं उन्हें कविता का रुप देना, पंक्तिबद्ध करना कवि धर्मिता है।
मन में उठते मानवीय मूल्यों/संवेदनाओं के सार्वभौमिक रूप को कविता में मूर्त रूप देने का मेरे द्वारा प्रयास किया गया है, गणना आधारित छंद विधान से उन्मुक्त महाप्राण निराला जी के नक्शे कदम पर चलते हुए आत्मभाव और शब्द संगति, तुकांतता को आधार बनाकर मैं पन्द्रह वर्ष की उम्र से अनवरत लिखता रहा हूँ,आज उन्हीं रचनाओं को आप सबके समक्ष रखते हुए सुखद अनुभूति हो रही है, आशा करते हैं कि यह पुस्तक आप सबको जरुर पसंद आयेगी।।
कवि- उमाकांत त्रिपाठी "निश्छल"
उमाकांत त्रिपाठी
उमाकांत त्रिपाठी "निश्छल"
ग्राम-भड़रा, पो०आ०-पटहट,
वि०ख०-जवा जिला-रीवा (म०प्र०)
पिन कोड-486447
मो० न०- 8357823874
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.