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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palबॉस की तरह बनकर जीना हर व्यक्ति चाहता है, चाहे कोई भी व्यक्ति हो यदि वह किसी के लिए कार्य करता है तब वह अक्सर यह सोचता है की काश वह उस कंपनी का बॉस होता। यह सोच होना एक सामान्य बात है, लेकिन हर व्यक्ति नहीं बन पाता है वजह होती है, बॉस की तरह चरित्र की कमी।
जिस दिन आप यह समझ जाते है की ये आलोचक ही आपके जीवन में आपको आगे ले जाने में मदद करेंगे उस दिन से आप आलोचकों को देखने का नजरिया बदल देंगे। कई आलोचनाओं को सहने के बाद आप निखार जाते है, परन्तु कई लोग ऐसे होते है जो इन आलोचकों से उलझकर अपना जीवन अस्त-व्यस्त कर लेते है। जीवन में लोगो के सामने कई परेशानियां आती है, परेशानियां का आना स्वाभाविक है। जीवन बिना परेशानियों के असंभव है, इंसान का जन्म भी कई कठिनाईयों के बाद ही होता है ।
समस्याएं आये तो जीवन में कई लोग थक हार कर बैठ जाते है, परन्तु जीवन रुकने के लिए नहीं बना है। जीवन में समय किसी के लिए नहीं रुकता, यदि किसी अपने की मृत्यु भी हो जाये तब भी यह नहीं रुकता। जीवन के दोनों पहलु है सकारात्मक भी और नकारात्मक भी, सकारात्मक व्यक्ति इसे हर स्थिति में सकारात्मक रूप में देखते है, वहीं जो लोग नकारात्मक होते है वे हर स्थिति में नकारात्मकता ढूंढ ही लेते है।
मानव जीवन का मिलना किसी सौभाग्य से काम नही है, इस जीवन को भरपूर जिया जाये और इसका दूसरों के लिए सर्वश्रेष्ठ उपयोग किया जाना जरुरी होता है।
जीवन की सार्थकता निरंतर चलते रहने में है, कठिनाई तो आते ही रहती है, मायूस होकर रुक जाना या फिर असफलता मिलने पर हारकर बैठ जाना इस आदत को बदला जा सकता है। जब हम जीवन को समझते है तब हम इसकी सार्थकता को भी समझ पाते है।
डॉ. ललित मोहन गुप्ता
जीवन जीने की कला, तथा सफलता को कैसे प्राप्त करे यह डॉ ललित मोहन गुप्ता अपने सेमिनार में सिखाते है। डॉ ललित मोहन गुप्ता विद्यालय में प्राचार्य रह चुके है, जहाँ उन्होने प्रबंधन को संचालित करने के कई गुण विकसित किये। लोकव्यवहार की कला को सुद्रढ़ बनाते हुए जीवन के कई क्षेत्रों में सफलता हासिल कर चुके डॉ ललित मोहन गुप्ता जीवन जीने के मंत्र लोगों से साझा कर चुके है अपनी किताब 'जीवन और प्रबंधन मंत्र' के द्वारा। डायनामिक मैमोरी गुरु डॉ ललित मोहन गुप्ता अपना नाम 'इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स ' में भी दर्ज़ करवा चुके है। मैमोरी का अधिकतम इस्तेमाल कैसे करे यह उनकी किताब पढ़कर समझा जा सकता है।
श्री गुप्ता एक जाने माने प्रेरक वक्ता है जो छात्रों तथा कर्मचारियों को अपनी बातों से जीवन जीने की कला सिखाते है। कलारीपयट्टू को सभी मार्शल आर्ट का जनक भी कहा जाता है। डॉ गुप्ता ने बेंगलुरु से कलारीपयट्टू में निपुणता हासिल की है वे यह मानते है की कलारीपयट्टू न सिर्फ एक बेहतरीन युद्ध कला है, बल्कि साथ ही साथ यह जीवन जीने की कला भी सिखाती है।
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