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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palलेखक की क़रीब सौ ग़ज़लों/नज़्मों की हर ग़ज़ल/ नज़्म जैसे तसव्वुर (कल्पना) के समुन्दर में उठने वाला एक बुलबुला है जिसकी पहचान इश्क़, विद्रोह, जंग, वेदना, आक्रोश, ख़ुदा, दिल और कायनात यानी वो कुछ भी हो सकती है जिससे हम ज़िन्दगी में रुबरु होते हैं I
दौर-ए-मर्ज़ चल रहा है अभी दुनिया में
बा वजह आप तो दो गज के फ़ासले से मिले
और कितने दिनों तक कोहनियाँ मिलाएँगे
मुद्दत हो गयीं हैं आप से गले से मिले
***
तस्वीर-ए-कायनात का रखना था एक नाम
मैंने रखा ख़ुदा का ए’जाज-ए-तसव्वुर
मैं वालिद-ए-सदहा हूँ, करता हूँ परवरिश
मेरी ग़ज़ल हैं मेरी औलाद-ए-तसव्वुर
***
शुभ चिंतन
लेखक भारतीय राजस्व सेवा (IRS 1993 Batch) के अधिकारी हैं एवं वर्तमान में आयुक्त (GST), गुरुग्राम के पद पर कार्यरत हैं। लेखक की शिक्षा कक्षा बारहवी तक हिंदी माध्यम से ज़िला अलीगढ़ में हुई और तत्पश्चात उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से प्राप्त की। लेखक IIT दिल्ली में M.Tech के छात्र रहे हैं। लेखक को उनकी असाधारण कर्तव्यनिष्ठा एवं विशिष्ट सेवाओं के लिये गणतंत्र दिवस 2014 के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जा चुका है। लेखक को सीमा शुल्क प्रशासन में उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिये विश्व सीमा शुल्क संगठन के महासचिव द्वारा भी प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जा चुका है।
लेखक का यह सातवाँ कविता संग्रह है। इससे पहले उनके छह संग्रह, ‘ओट से मन दिखता है’, ‘मटकिया भरी नहीं’, ‘मिसरा मिसरा ग़ज़ल आशिकाना हुई’, ‘संवाद राम और कान्हा से’, ‘एक इन्द्रधनुष शतरंगी’ तथा ‘एक मंगलयान कविताओं का’ प्रकाशित हो चुके हैं।
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