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Bundelkhand Ki Rachnayen / बुंदेलखंड की रचनाएं

Author Name: Chakkilal | Format: Paperback | Genre : Young Adult Fiction | Other Details

छक्कीलाल ने अपने इस कविता व रचनाओं से हमको यह बताया है कि जीवन में कठिनाइयां हमेशा रूप बदल बदल के आते हैं परंतु हमें इसका कैसे सामना करना है और इन कठिनाइयों से कैसे उभर कर अपना जीवन खुशहाल तरीके से व्यतीत करना है। एक बार जिगनी के राजा लेखक के कारीगरी काम से काफी प्रभावित हुए और उनको राजमहल बुलवाया और उन्हें राज महल में रानी के निवास स्थान में एक रोशनदान बनाने के लिए कहा। लेखक श्री छक्की लाल ने अपनी मेहनत और ईमानदारी के साथ कार्य को प्रारंभ किया और उन्होंने कुछ दिनों में एक सुंदर एवं आकर्षक रोशनदान बनाया जिसको देखकर राजा प्रभावित हुए और उनको राज महल में कारीगरी के कार्य के लिए रख लिया, अब वह महल में कारीगरी करने लगे, उन्हें कविताओं का भी शौक था वह कारीगरी करते समय अपनी कविताएं लोगों को सुनाया करते थे और जब भी उन्हें समय मिलता था तो वे अपनी कविताओं को लिखा करते थे। इस प्रकार वहां अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। 

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छक्कीलाल

छक्कीलाल का जन्म सन् 1932 में एक छोटे से गांव जिगनी में हुआ था जो कि उत्तर प्रदेश में स्थित है। उनके पिता का नाम श्री पंखी लाल था। जब उनकी उम्र लगभग 6–7 वर्ष की थी, तभी उनके पिता की मृत्यु हैजा के कारण हो गई थी और कुछ समय के पश्चात उनकी माता जी का भी निधन हो गया था। माता-पिता के मृत्यु के पश्चात वह अकेले रह गए, उनके पास रहने के लिए खुद का घर भी नहीं था। गांव के लोगों एवं उनके परिवार वालों ने उन्हें एक छोटी सी जगह दे दी जहां पर गाय भैंस बांधी जाती थी, वह वहीं पर रहने लगे। जब उनकी उम्र 14–15 वर्ष की थी तभी उनके परिवार वालों ने उनकी शादी करा दी। उनकी पत्नी का नाम लाडकुंवर है। शादी के पश्चात उन्हें अपने ग्रहणीय जीवन को चलाने में कठिनाइयां होने लगी उनके पास रहने के लिए न एक अच्छा घर था और ना ही उन्हें अच्छा भोजन प्राप्त होता था। अंतः दोनों पति-पत्नी अपना जीवन यापन करने के लिए दूसरों के खेतों और घरों में काम करते थे, इस प्रकार वह अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। लेखक श्री छक्कीलाल ने फिर कारीगरी का कार्य शुरू किया वह लोगों के घर एवं मंदिर निर्माण करने लगे। उन्होंने गांव में एक काली मंदिर बनाया था जो कि बहुत सुंदर था। उनके परिवार में तीन बेटे थे जिनका नाम छत्रपाल, धर्मपाल और हरिपाल था। उनका निधन 16 मई 2021 में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन को बड़ी खूबसूरती से कविता और छंद की पंक्तियों में रचा।

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