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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal‘‘अगर आप सफल हो जाते हैं, तो आप अपनी जिंदगी के बिताए हुए हर खूबसूरत पल को बहुत याद कर पाएँगे। किन्तु अगर आप असफल होते हैं तो, आप पुराने दिन को कोसते हुए खुद को पाएँगे।‘‘
बहुत से पहलुओं को मैंने अपने दामन में समेटते हुए अपने छात्रावास जीवन में बिताई हुई कुछ प्रेरणापूर्ण घटनाओं को अपनी डायरी से किताब में परिनत किया है।
‘‘एक नए सवेरे की ओर‘‘ से शुरू हुई यह किताब छात्रावास आने के कुछ दुख जो छात्रावास आने वाले हर बच्चे को झेलना पड़ता है से लेकर ‘‘स्कूल का अंतिम दिन‘‘ के मार्मिक वर्णन से भरी पड़ी है। किताब के पात्रों की बात करूँ तो ये छात्रावास के इर्द-गिर्द के हीं हैं। ये पात्र कोई बनावटी नहीं है बल्कि ये छात्रावास के ही समस्त लोग हैं।
छात्रावास में बिताई हुई घटनाओं में से कुछ घटनाओं को लेकर इस किताब का वर्णन किया गया है। ये प्रथम बैच के बच्चों की कहानी है जहाँ से स्कूल की नींव रखी जाती है। छठी से दसवीं तक का सफर तय करने के दरमियान कितने ही पलों के जीने की कहानी है। किताब के नाम से ही मालूम हो गया होगा ‘‘छात्रावास के मुसाफिर‘‘ अर्थात् वो यात्री जिसने छठी से दसवीं तक का सफर छात्रावास में तय किया। भले ही ये यात्रा 4 वर्ष की ही क्यूँ ना हो, किन्तु इनके दरमियान बहुत कुछ बीता, बहुत कुछ छूटा और बहुत कुछ सीखा। उन्हीं 4 वर्षों की यात्रा को एक संस्मरण के रूप में प्रस्तुत करने जा रहा हूँ।
मैं अपने समस्त विद्यालय परिवार और शिक्षकों का बहुत आभारी हूँ, जिन्होंने मुझे इस किताब के अलग-अलग पहलुओं को जीने में मदद की। जिनके माध्यम से मैं यहाँ तक का सफर तय करने में समर्थ हो पाया।
मो. फैजान शाद
‘‘छात्रावास के मुसाफिर‘‘
छात्रावास की संपूर्ण घटनाओं को अपने अंदर समेटे हुए है। ‘मुसाफिर‘ शब्द छात्रों के लिए संबोधित किया गया है। लेखक मो0 फैजान ने सम्पूर्ण घटनाओं को खुद जीया है, तब जाकर संस्मरण के रूप में पुस्तक प्रस्तुत की है।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी मो0 फैजान, बाँका बिहार से संबंध रखते हैं, संपूर्ण छात्रावास की घटना नेतरहाट विद्यालय संबंधित है। वहाँ के परिवेश की चर्चा बहुत बारिकी से उन्होंने की है।
मो0 फैजान भारतीय संस्कृति के प्रबल समर्थक और मानवता के पुजारी है।
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