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Dadda Darshan / दद्दा दर्शन

Author Name: Dr. Surendra Pratap Singh Rajpoot | Format: Paperback | Genre : BODY, MIND & SPIRIT | Other Details

मध्य भारत ही नहीं, संपूर्ण भारत वर्ष के एक मात्र गृहस्थ संत पंं| देवप्रभाकर शास्त्री "दद्दा जी" एक बेहद सामान्य परिवार से थे| बचपन में ही पिता का साया सिर से उठने के बाद उनकी माँ ने कठिन परिस्थितियों में उनका लालन पालन किया| श्री देवप्रभाकर ने अपनी माँ के परिश्रम और अपनी योग्यता से काशी में उच्च शिक्षा व शास्त्री की उपाधि प्राप्त की| जीविकोपार्जन के लिये अध्यापन का कार्य भी किया| किंतु ज्यादा समय तक इस कार्य से बंधे न रह सके| पांडित्य कर्म के साथ - साथ कृषि को उन्होंने अपनी जीविका बनाया| चक्र चूड़ामणि धर्म सम्राट करपात्री जी के परम शिष्य देवप्रभाकर ने गुरु को दिये हुए वचन को पूर्ण करने के लिये "सवा करोड़ पार्थिव शिवलिंग निर्माण महारुद्र यज्ञ"का क्रम प्रारंभ किया, जो विश्व में पार्थिव शिवलिंग निर्माण के अनेक कीर्तिमान बना गया|

विभिन्न धर्मों के लाखों शिष्यों के आराध्य और आधार " दद्दा जी " सर्व धर्म, सम भाव में आस्था रखते थे| केले के पत्ते में खाना और नारियल की नरेटी में पानी पीने वाले "दद्दा जी" की जीवन शैली बेहद सहज और सरल थी| भारत वर्ष ही नहीं संभवतः वे विश्व के एक मात्र ऐसे संत थे, जो शिव की उपासना और अभिषेक करते थे और श्रीकृष्ण की महिमा बखान करते थे|

गृहस्थ संत पं|देवप्रभाकर शास्त्री "दद्दा जी"

वे कर्म प्रधान जीवन के समर्थक थे| कर्म ही धर्म बन जाये, यह उनके जीवन का महत्वपूर्ण सूत्र था| "दद्दा जी" से जुड़े लोगों के संस्मरण इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि वे एक ईश्वरीय स्वरूप थे, जिनका अवतरण मानव मात्र के कल्याण के लिए ही हुआ था| अपने शिष्यों को अपना पुत्र मानने वाले "दद्दा जी" ने गृहस्थ संत के रूप में जो जीवन जिया वह अनुकरणीय है| वे हमेशा कहते थे कि 'कथनी और करनी में एकता का संपादन होना चाहिए'|

श्रद्धेय "दद्दा जी" का संपूर्ण जीवन त्याग, तपस्या, अनुशासन, परिश्रम और समर्पण का बेमिसाल उदाहरण है|जिसका अनुकरण मोक्ष का द्वार है|

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डॉ. सुरेंद्र प्रताप सिंह राजपूत

डॉ. सुरेंद्र प्रताप सिंह राजपूत (पीएचडी गुरु) जाने माने पत्रकार और लेखक एवम शिक्षाविद है। आप राजीव गांधी आर्ट्स एंड कामर्स कॉलेज रीठी जिला कटनी (म प्र) में प्राचार्य पद पर कार्यरत है। आपने अर्थशास्त्र विषय से रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से पीएचडी की है। आपने कई शोध पत्र ओर लेख लिखे है। दद्दा दर्शन उनकी पहली पुस्तक है। डॉ राजपूत को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है जिसमें शोध के क्षेत्र में विशेष कार्य हेतु बंगलोर की प्रतिष्ठित संस्था BREVITY ACHIVEMENT AWARDS AND PHD GURU AWARDS  से सम्मानित किया गया।  शिक्षा , समाज   सेवा एवम पत्रकारिता के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने हेतु बाबा छत्रपाल समिति नंदहा  जिला सतना एवं किरण संस्था कटनी द्वारा विशेष सम्मान से नवाजा गया।

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