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Darshana Sutra / दर्शन सूत्र

Author Name: Brahmachari Prakarsha Prakash | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

दर्शन शब्द का शब्दार्थ केवल देखना या सामान्य देखना ही नहीं है। दर्शन-शास्त्र हमें प्रमाण और तर्क के सहारे अन्धकार में ज्योति प्रदान करके हमारा मार्ग-दर्शन करने में समर्थ होता है। पाणिनीय व्याकरण के अनुसार 'दर्शन' शब्द, 'दृशिर् प्रेक्षणे' धातु से ल्युट् प्रत्यय करने से निष्पन्न होता है। अतएव दर्शन शब्द का अर्थ दृष्टि या देखना, ‘जिसके द्वारा देखा जाय’ या ‘जिसमें देखा जाय’ होगा। 

अथातो धर्मजिज्ञासा ( पूर्वमीमांसा)
अथातो ब्रह्मजिज्ञासा। ( वेदान्तसूत्र )

अथ योगानुशासनम्। ( योगसूत्र )
अथ त्रिविधदुःखात्यन्तनिवृत्तिरत्यन्तपुरुषार्थः। ( सांख्यसूत्र )

अथातो धर्मं व्याख्यास्यामः। ( वैशेषिकसूत्र )
प्रमाणप्रमेयसंशयप्रयोजनदृष्टान्तसिद्धान्तावयवतर्कनिर्णयवादजल्पवितण्डाहेत्वाभासच्छलजातिनिग्रहस्थानानाम्तत्त्वज्ञानात्निःश्रेयसाधिगमः । ( न्यायसूत्र )

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ब्रह्मचारी प्रकर्ष प्रकाश

ब्रह्मचारी प्रकर्ष प्रकाश पिछले कुछ वर्षों से लेखन के क्षेत्र में हैं। वे श्री गोवर्धन मठ, पुरी के परमपूज्य श्रीमज्जगद्गुरु शङ्कराचार्यजी महाराज के शिष्य होने के कारण स्वयं को बहुत भाग्यशाली मानते हैं। उन्होंने विभिन्न प्रकाशनों के माध्यम से वैदिक शास्त्रों की शिक्षाओं के प्रचार में खुद को शामिल किया है।

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