You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palदेवदूत -2
In this book..., देवदूत और देवलोक शम्भाला
"जब मनुष्यता क्षीण होने लगे, अंधकार बढ़ने लगे, भय और विनाश का ग्रहण धर्म को भयभीत करने लगे। तो इसका तात्पर्य होता है, विनाश! धर्म का, समाज का, और समस्त ब्रह्माण्ड का। इस प्रलय से मनुष्य को बचाने के लिए, किसी न किसी अवतार को अवतरित होना ही पड़ता है। यही कारण है की ईश्वर बार-बार इस धरा पर अवतरित होता है। किसी न किसी रूप में। मनुष्य अथवा ईश्वर। मानव और दानव इन्हीं दोनों के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए कभी तो ईश्वर स्वयं अवतरित होता है, और कभी अपने किसी दूत को भेज देता है। देवदूत के रूप में। दुष्टों के संहार हेतु।"
!! जीवन अंतहीन है !!
"संसार में उपस्थित किसी भी वस्तु का अन्त नहीं होता। बस वह परिवर्तित होती हैं। जैसे आत्मा शरीर में, और शरीर आत्मा में...!! परिवर्तन ही संसार का प्रथम और अंतिम नियम है। अतः हम मनुष्य इस नियम से कैसे दूर रह सकते है। हम भी परिवर्तित होते रहे हैं, और होते रहेंगे। होना भी चाहिए। तभी सृष्टि चलती है। सिथिलता गति को बाधित करती है। और जिसमें गति न हो, वह निर्जीव हैं।" परंतु सृष्टि निर्जीव नहीं है, और जीवन भी। जब तक सृष्टि और जीवन है, तब तक बुराई और पाप भी रहेंगे। और इनको समाप्त करने हेतु रक्षकों को अवश्य ही आना पड़ेगा। क्योंकि आत्मा अमर है। नष्ट होने वाला शरीर पुनः प्राप्त करके अपने कर्म में लग जाती है। और कर्म से ही तो संसार चलायमान है। विद्यमान है। और रहेगा, अनंतकाल तक।
कोई भी कहानी कभी समाप्त नहीं होती..., अतः देवदूत कैसे हो सकती है!!!.....!!!! ॐ नमः शिवाय !!!
हरीश शर्मा
‘हरीश शर्मा का जन्म अयोध्या, उत्तर प्रदेश में हुआ था। हरीश विज्ञान में स्नातक की डिग्री रखते है, उन्होंने अपनी शिक्षा मुंबई में प्राप्त की, जहाँ वे वर्तमान में अपने परिवार के साथ रहते है। हरीश फिल्म राइटर एसोसिएशन के सदस्य भी है। और गीत, गजल लिखने के साथ ही धर्म, दर्शन, भारतीय पौराणिक कथाओं के बारे में गहरी समझ रखते है। अपनी पहली पुस्तक ‘देवदूत - द गॉड क्रिएशन’ में उन्होंने इन्ही तत्वों को मिलाकर एक कहानी बनाई थी। दुसरी पुस्तक ग़ज़ल थी ‘मेरे अल्फ़ाज़ हो तुम’ और ‘मृत्यु का वर्ष, The Year of Death, Pandemic’ तीसरी पुस्तक थी (In English) ‘अंधकार का युग’ चौथी पुस्तक है, जो हिन्दी और इंग्लिश (The Era of Darkness) दोनों में उपलब्ध है। जाल, पांचवी पुस्तक है, जो थ्रिलर और रहस्य पर आधारित है। जो हिंदी और इंग्लिश दोनों में उपलब्ध है, (A TRAP) “देवदूत और देवलोक शम्बाला” की कहानी देवदूत – The God’s Creation के आगे की कहानी है। एक प्रकार से देवदूत पार्ट 2 हैं।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.