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Dr.Rajendra Prasad Singh: Naye Sahitya aur Itihas kee khoj / डॉ.राजेंद्र प्रसाद सिंह: नए साहित्य और इतिहास की खोज

Author Name: Dr. Hare Ram Singh | Format: Paperback | Genre : Letters & Essays | Other Details

'डॉ.राजेंद्र प्रसाद सिंह:नए साहित्य और इतिहास की खोज" ख्यात अंतरराष्ट्रीय भाषा वैज्ञानिक , बौद्ध दार्शनिक, इतिहासकार डॉ.राजेंद्र प्रसाद सिंह के साहित्यिक व ऐतिहासिक उपलब्धियों को रेखांकित करने वाली पुस्तक है। इस पुस्तक में भाषा,समाज,इतिहास और वर्तमान की टकराहटों पर समसामयिक टिप्पणियों से युक्त डॉ.सिंह की मौलिक स्थापनाओं, विचारों एवं ऐतिहासिक विवेचनाओं के दर्शन सहज सुलभ है, जिससे डॉ.राजेंद्र प्रसाद सिंह  की दूरदर्शिता, तार्किकता और तथ्यों को पड़ताल करने की अद्भुत शक्ति का बोध होता है।ऐसा शख्स शती में विरले कोई पैदा होता है जो समाज और एकेडमिक स्तर पर सोचने और देखने के तरीके ही बदल डालता हो!

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संपादक:डॉ.हरेराम सिंह

नाम:डॉ. हरेराम सिंह,  ख्यातिप्राप्त कवि व आलोचक.
जन्म :  30जनवरी 1988 ई.को, बिहार के रोहतास जिला अन्तर्गत काराकाट प्रखंड के करुप ईंगलिश गाँव में।
शिक्षा :एम.ए.(हिंदी),यू.जी.सी-नेट,पीएच.डी.
प्रकाशित पुस्तकें : हाशिए का चाँद ’(2017),‘ रात गहरा गई है !’(2019)‘ पहाडों के बीच से ’(2019), ‘ मैं रक्तबीज हूँ !’(2019), ‘ चाँद के पार आदमी ’(2019), ‘रोहतासगढ़ के पहाड़ी बच्चे’(2019), ‘ रात के आखिरी पहर तक ’(2020) ‘ नीम की पत्तियों से उतरती चाँदनी ’(2020), ‘ मुक्ति के गीत ’,(2020)'बुद्ध तड़पे थे यशोधरा के लिए!'(2021),'मेरे गीत याद आयेंगे'(2021)(कविता संग्रह); ‘ओबीसी साहित्य का दार्शनिक आधार ’(2015),'डॉ.ललन प्रसाद सिंह:जीवन और साहित्य'(2016),'हिंदी आलोचना का बहुजन दृष्टिकोण'(2016),' हिंदी आलोचना का प्रगतिशील पक्ष ’(2017)‘ हिंदी आलोचना का जनपक्ष ’(2019),' डॉ. राजेंद्र प्रसाद सिंह की वैचारिकी,  संस्मरण एवं साक्षात्कार ’(2019), ‘ आधुनिक हिंदी साहित्य और जन संवेदनाएँ ’(2021),‘ किसान जीवन की महागाथा : गोदान और छमाण आठगुंठ ’(2021),'समकालीन सच:संदर्भ साहित्य और समाज'(2021)(आलोचना-ग्रंथ), ‘ टुकड़ों में मेरी जिंदगी ’ (2018), ‘अनजान नदी (2019)!’(उपन्यास),  ‘अधूरी कहानियाँ ’(2018) ‘ कनेर के फूल '(2019),’कहानी-संग्रह) ‘ लोकतंत्र में हाशिए के लोग ’ (2019),'डायरी के अंतिम पन्ने'(2021) और 'कुशवाहा-वंश का इतिहास '(2021)।
संप्रति:स्वतंत्र लेखन

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