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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palएक बदनाम शायर - अभिषेक मिश्रा
इस किताब में कवि ने खुद को एक बदनाम शायर बताया हैं। ऐसा इसीलिए क्योंकी उनकों ये नाम उनके कुछ करीबी दोस्तों द्वारा उनकों बार-बार प्रेम विषय पर लिख़ने पर दिया हैं। उनके अनुसार उन पर ये नाम भाता भी हैं, और इस नाम से लेखक को भी कोई परेशानी नहीं हैं। वो कहतें हैं की वो लेख़क क्या हुआ जो बदनाम ना हुआ।
इतिहास में बड़े बड़े लेखक कवि बदनाम हुए और आज हम उनका नाम बड़े आदर के साथ लेते हैं।
वैसे बताना चाहते हैं, ये किताब अलग-अलग विषय पर लिखी कविताओं से सुसज्जित है। इसमें आप को प्रेम की डोर से बँधी रचनाएँ, बचपन को लुभाने वाली रचना, माँ-बाप के प्यार से सजी हुई कविताएं और कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों से जुडी हुयी रचनाएँ, आपको अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफ़ी हैं।
अगर आप चाहतें हैं की काश आप किसी भी माध्यम से अपने बचपन में लौट सके, बचपन की यादों को ताजा कर सके फिर तो जरूर आप को एक बार इस किताब को पढ़ना चाहिए।
अगर आप ने कभी भी किसी से मोहब्बत की हैं, या फिर आपको प्रेम पर लिखा लेख पसंद हैं तो आप को बिल्कुल ये किताब पढ़ना चाहिए
ये किताब और भी बहुत सारी सामाजिक विचारों से सुसज्जित हैं, जो इसका मुख्य आकर्षण का केंद्र है। जो की हर प्रकार के पाठक को अपने तरफ ध्यान खिंचता हैं। हम आशा करते है आप को ये किताब पसंद आयेगी।
संपर्क सूत्र -
इंस्टाग्राम आईडी – @unitepublication_
ईमेल आईडी – unitepublicationrn@gmail.com
अभिषेक मिश्रा
अभिषेक मिश्रा मूलरूप से उत्तरप्रदेश के जौनपुर से हैं। ये अपने माता पिता के साथ मुम्बई में रहते हैं। इनका जन्म 20 फरवरी 1996 में, जौनपुर के मईडीह नामक गाँव में हुआ था। 2019 में इनका बी एस सी मुम्बई विश्वविद्यालय से पूरा हुआ। इनको लिखने के साथ साथ पंछियों को देखना, क्रिकेट खेलना इत्यादि में विशेष रुचि हैं।
इनका घर का नाम शुभम भी हैं इनको अलग अलग विषयों पर लिखना पसंद हैं। अब तक इन्होंने 70 से भी ज्यादा सह पुस्तक में सह लेखक की भूमिका निभा चुके हैं। इसके अलावा इन्होंने एक उपन्यास भी लिख रखा हैं, जिसका नाम कहानी उन दिनों की हैं और ये अपना एक और उपन्यास लिख रहें हैं जो की कुछ महीनों में आप के लिए उपलब्ध होगी। लिखने में रुचि इनको इनके दादा जी से आयी, इनके दादा जी जौनपुर के स्वामी विवेकानंद, नामक इंटर कॉलेज में हिंदी के अध्यापक हुआ करते थे। सन 2004 में वो रिटायर हुए और तब अभिषेक जी बाल्यावस्था में थे और तब से ही उन्होंने अपने दादा जी को कविता बोलते हुए और बातों ही बातों में उनका प्रयोग करते सुना और देखा हैं। धीरे-धीरे ये सब देखते और सुनते अभिषेक को भी कविताओं में विशेष रुचि होने लगी। दसवीं के परीक्षा के बाद से ही इन्होंने सुमित्रा नन्दन पन्त, रामधारी सिंह दिनकर जी, निराला जी इत्यादि की कुछ कविताएं जो पाठ्क्रम में थी वो पढ़ा। इसके साथ - साथ इनको कहानियों को पढ़ने का काफी पसंद हैं, ख़ासकर इन्हे प्रेमचंद द्वारा रचित कहानियाँ काफ़ी भाती हैं।
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