Share this book with your friends

Geet Vinyas / गीत विन्यास Geetho Ka Vandhanvar / गीतों का वन्दनवार

Author Name: Dr. Suman Lata Vohra Vermani | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

“गीत विन्यास” मेरे मूर्त अमूर्त भावों का आकाश है जो हर पल रंग बदलता है। इन बेज़ुबान भावों की अलग अलग कहानी है। इस बदलते हुए रंग में मेरा अस्तित्व आकार ग्रहण कर के पंख फैलाता है और मैं भावों के आकाश के विस्तार को छन्दों में समेट  कर अपनी पहचान के गीत बुनती हूं। अतएव ‘गीतविन्यास’ गीतों का वह वन्दनवार है जिस में शब्दों में पिरोए गए भावों को कितनी कितनी शक्लों में चित्रित किया है और वह शब्दों में भी दिखते हैं। शब्दों से ही भावों की देह जागती है। जीवन के हर क्षण को बीन बटोर कर सृजन के कतरों में बिखेर देना ही मेरी कविताओं का लक्ष्य है। शोर के इस संसार में भावों की मौन भाषा है। अत: ये कविताएं मुझ में रमी हुई मेरी खामोशी को रचने बुनने की परिभाषा हैं। मैं को स्वयं में खोजती हुई सन्नाटे में छन्द बुनती हूं, चेतना में वेदना की खरोंचे रचती हूं, प्रेम रस में तरती हूं, प्रकृति के मध्य रमती हुई हरियाली पंछी नदिया पहाड़ सन्नाटा  चुनती हूं। आकाश के चांद सितारे सूरज का घेराव फैलाव तनाव का पूरा नक्शा उकेरती हूं। भक्ति की आस से जुड़ती हूं श्रद्धा आस्था से झुकती हूं। शब्दों का सन्तुलन साध कर सुख दुख के छन्द लय में गतिवान कर सूनेपन और नीरवता में अपने रंग बिखेरती हूं। यह मेरा आत्मिक वक्तव्य हैं जो शब्दों को उन की सही जगह पर बसाते हैं जिससे शब्दों को भी अपनापन मिलता है। शब्दों की नियति भी यही है कि वह अपनी सही पहचान बना कर सही स्थान पर सही पते पर पहुंचें। सच कहूं तो इन कविताओं में मेरा अपना मिज़ाज ही बोलता है जो शब्दों के बहुल बिम्ब संसार कविता में ढल कर मेरी संवेदना का विषय बन गया है।

 

डॉ. सुमन लता वोहरा विरमानी

Read More...
Paperback
Paperback 355

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

डॉ. सुमन लता वोहरा विरमानी

शालेय जीवन से ही मेरी मां डा: सुमन लता की रुचि संगीत, कविता लेखन जैसे कलात्मक विषयों में विशेष रुचि रही है। गायन में उन्हें आत्मिक आनन्द की अनुभूति होती थी जिस के जुनून में उन्होंने विवाह के पश्चात म्यूजिक एवं डांस डिपार्टमेंट कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से संगीत की शिक्षा लेनी प्रारम्भ कर दी। उस समय को याद करते हुए मेरी आंखों के सामने कई चित्र बनते हैं। मेरा पांच वर्षीय बचपन का चित्र, बड़ी बहिन ममता का सात वर्षीय चित्र, छोटी बहिन मलिका का मात्र एक वर्षीय चित्र और मेरी मां का देर रात तक पढ़ाई में व्यस्त रहने का चित्र। इस के अतिरिक्त मां का फैबरिक पेन्टिंग, आयल पेन्टिंग, डॉल मेकिंग व निटिंग स्टीचिंग आदि कलात्मक चीजें बनाने का चित्र परन्तु मां का पढ़ना हम बच्चों के लिए अजूबा था। रोज़ यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट जाकर पढ़ाई करना फिर आ कर घर को देखना, खाना आदि बनाना, मां की यह व्यस्तता उन की आंखों से झलकती थी परन्तु मां ने घर के दायित्व को भी पूरी निष्ठा व प्रेम से निभाया और एम ए, एम फिल व पी•एच•डी• की शिक्षा म्यूजिक एवं डांस डिपार्टमेंट कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से प्राप्त कर डिग्रियां हासिल की और साथ ही यूनिवर्सिटी कालेज कुरुक्षेत्र में व्याख्याता भी रहीं। उस समय के परिवेश के संघर्षों से उपजे अनुभवों ने मां के हाथों को खुद की लकीरों पर चलने का ऐसा प्रशिक्षण दिया कि उन्होंने जीवन के उन अंशों को शब्द लय से संतुलित कर काव्य गीत ग़ज़ल के रुप में अभिव्यक्त कर दिया। मुझे यह कहते हुए गर्व होता है कि उनकी पहली पुस्तक 5 सितम्बर सन् 2020 में नोशन प्रैस से प्रकाशित हो चुकी है और अब “गीतविन्यास" प्रकाशित होने जा रही है और अन्य काव्य संग्रह "मन की वाणी" प्रकाशन  मार्ग पर है।

 

गगन विरमानी

सीईओ, फाउंडर आफ माई सन कम्पनी, नोएडा 

Read More...

Achievements