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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palरोमांटिक युग के सबसे प्रमुख कवियों में से एक सैमुअल टेलर कोलरिज न केवल एक साहित्यिक प्रतिभा थे, बल्कि एक गहन विचारक भी थे, जिनकी रचनात्मकता, कल्पना और मानवीय क्षमता पर चिंतन पाठकों को प्रेरित करते रहते हैं। जीनियस और टैलेंट के बीच के नाजुक अंतर्संबंध की उनकी खोज उनकी दार्शनिक गहराई और काव्यात्मक संवेदनशीलता को प्रकट करती है। यह पुस्तक, 'जीनियस और टैलेंट: सैमुअल टेलर कोलरिज की विचारदृष्टि', इन कालातीत विषयों पर उनके विचारों का एक चुनिंदा संग्रह प्रस्तुत करती है, जो हमें एक दूरदर्शी मस्तिष्क के विचारों को जानने का मौका देती है।कोलरिज ने "जीनियस और टैलेंट" के बीच अंतर किया, 'जीनियस' जो कल्पना करने और बनाने की जन्मजात क्षमता है, और 'टैलेंट' जो अभ्यास और अनुशासन के माध्यम से परिष्कृत कौशल है। उनके लिए, जीनियस ईश्वरीय प्रेरणा थी, जबकि टैलेंट मानव श्रम थी। उनके लेखन हमें रचनात्मकता के स्रोतों और व्यक्ति किस तरह से मानव विचार और संस्कृति के व्यापक ताने-बाने में योगदान करते हैं, इस पर चिंतन करने के लिए प्रेरित करते हैं।
इस संग्रह के माध्यम से, पाठक कोलरिज के समृद्ध बौद्धिक परिदृश्यों को पार करेंगे, ऐसे विचारों का सामना करेंगे जो पारंपरिक सोच को चुनौती देते हैं और मानव क्षमता के गहन रहस्यों को उजागर करते हैं। उनके विचारों से जुड़कर, हम एक कवि-दार्शनिक के मन में अंतर्दृष्टि प्राप्त करते हैं। जैसे-जैसे आप इन प्रतिबिंबों के माध्यम से यात्रा करते हैं, आप अपने भीतर प्रतिभा और प्रज्ञा दोनों को पोषित करने और हमारी साझा दुनिया को आकार देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
मीना रामनारायण, संपादन- डॉ. काना राम मीना
डॉ. राम नारायण मीना राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस), शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार में सहायक निदेशक (शैक्षिक) हैं और वर्तमान में एनआईओएस के क्षेत्रीय केंद्र गांधीनगर (गुजरात) में क्षेत्रीय निदेशक (प्रभारी) के पद पर कार्यरत हैं। आपने जेएनयू, नई दिल्ली से 'पूर्वी राजस्थान के समकालीन रंगमंच में नाट्यशास्त्र की अभिनय परंपरा' पर शोधकार्य पूर्ण किया है। आपकी विशेषज्ञता के क्षेत्र हैं- राजनीतिक दर्शन और विचार, भारतीय ज्ञान परंपरा, भाषाविज्ञान, लोक रंगमंच और सिनेमा, महिला अध्ययन, जनजातीय मुद्दे और मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा आदि। आपको 'भारतीय ज्ञान परंपरा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए एनआईओएस, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2019 में ''गुरु द्रोण पुरस्कार'' से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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