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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palअगर हम लेखिका के संघर्ष को जाने तो इसमें कोई शक नहीं कि यह किताब निश्चय ही उनके "हौसलों की उड़ान" है।अपनी रचित रचनाओं को एक पहचान देना लेखिका के लिए खुद में एक बहुत बड़ा प्रोत्साहन है।वह समाज में खुद की एक ऐसी पहचान बनाना चाहती है कि लोग बेटी तो बेटी, बहुओं को भी उच्चतम शिक्षा दिलाने को जागरूक हो।इस किताब में अधिकांश रचनाएं ऐसी है जो लेखिका ने खुद अनुभव किया है।उसे अपने विचारों और कल्पनाओं को कागज़ के टुकड़ों पर लिखना बेहद पसंद है क्योंकि हमारी ज़िंदगी में एक कागज़ के टुकड़े ही ऐसे हैं जो हमारी बातों से कभी बोर नहीं होते
हिना अंजुम
लेखिका परिचय
हिना अंजुम।पिता मो. चिरागुद्दीन अंसारी ,माता साजदा खातून।ये झारखंड के देवघर जिले से ताल्लुक रखती है।इसका व्यक्तित्व शोभनीय है जो लोगों द्वारा काफ़ी पसंद किया जाता है।
ये पढ़ाई के क्षेत्र में हमेशा अव्वल रहती है।
कविताएं लिखना इसका लक्ष्य नहीं है,
एक जुनून है शौक नहीं है।
इसकी आखों में बड़े सपने है।सर्वप्रथम यह अपने सपने को पूरा करना चाहती है तत्पश्चात गरीब,बेसहारों की मदद करना चाहती है। मिस सुजाता भारती इसकी प्रेरणास्रोत है।इनकी कुछ रचनाएं" Melting ink" नामक बुक में प्रकाशित है।इसे भाषण में बहुत रुचि है और वह इसमें कई इनाम विभिन्न जगहों से ले चुकी है।आज यह जिन ऊंचाइयों तक है उन सब के लिए वह अपने रब की शुक्रगुजार है।
आज ये विवाहित है।परिवार की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाते हुए अपने लक्ष्य के प्रति हमेशा तत्पर रहती है।इसके पति जहांगीर आलम हर मोड़ पर इसका साथ देते हैं और हर अगली उड़ान के लिए इसे प्रत्साहित करते हैं।
मम्मी ,पापा ,भाई,बहन और परिवार के सभी सदस्य इन्हें खूब प्रोत्साहित करते हैं।किसी ने इसके पंख काटने की कोशिश नहीं की है। हां ये ज़रूर है की सबने इसके सपने और हौसले को सराहा है।इसके पिता हमेशा इसे खूब प्रोत्साहित करते हैं।और हिना गर्व से कहती है कि वह अपने पिता और पति का अभिमान है।ये हर परेशानियों का साहस पूर्वक सामना करती है और अपने पथ पर गतिशील रहती है।जब वह उड़ नहीं सकती है तब दौड़ती है जब दौड़ नहीं सकती है तब चलती है,जब चल नहीं सकती है तब धीरे धीरे चलती है लेकिन रुकती नहीं है।वह दिन दूर नहीं जब वह समाज में नई पहचान बनाएगी और नारी सशक्तिकरण की मिशाल बनेगी।उसे अपनी जिंदगी और मंजिल तक पहुंचने के लिए हर चुनौतियां पसंद है।यह चुनौतियों का सामना करना बखूबी जानती है।
हिना कहती है
कि "डर तो मुझे भी लगा फासला देख कर,
पर मैं बढ़ती गई रास्ता देख कर।
मंजिल खुद बखुद मेरे नजदीक आती गई,
मेरा हौसला देख कर।"
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