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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकहते हैं इश्क़ कई रंग दिखाता है, वह हमे उन रंगों से रूबरू करवा देता हैं जो हमने कभी सोचे न हो। जब नया-नया इश्क़ होता है तब ऐसा लगता है, जैसे जिंदगी की गाड़़ी कच्ची पगडंडी से पक्की सड़क पर आ गई है। अब आगे जो भी होगा, हसीन होगा और हमेशा ऐसा ही रहेगा। जब इश्क़ सर चढ़ता है न तब नये-नये सपने आँखों में सजनेे लगते है, हम हमारी जिंदगी के आने वाले सारे पल अपने प्रेमी के साथ बिताना चाहते है लेकिन तब ही इश्क़ में अचानक एक ऐसा मोड़ आता है जो उम्मीद से परे होता है। सारे सपने, सारे वायदे ताश के पत्तों की तरह बिखर जाते है। जिंदगी से एक शख्स क्या चला जाता है मानो लगता है जिंदगी में कुछ बचा ही नहीं। हम गम और अकेलेपन की गहरी खाई में धकेल दिये जाते है। उस दौरान जितना दर्द दिल टूटने का होता है, उससे कहीं ज्यादा उन चीजों का पछतावा होता है जो हम इश्क़ के चक्कर में बर्बाद कर बैठे है। तब ऐसा लगता है अब क्या होगा? हमारा भविष्य, हमारे गोल जो हम इश्क़ में भूल बैठे थे वही याद आते हैं। हम अपनी जिंदगी को फिर यू-टर्न देकर वहीं ले जाना चाहते है, जहाँ ये सब शुरू हुआ था मगर जिंदगी की गाड़ी में रिवर्स गियर नहीं होता। इश्क़ की नदी में अगर कोई नाव चलायें और सोचे कि हम डूबेंगे नहीं तो वह गलत सोचता है, ऐसा कोई नहीं बना जो डूबने से बच पाया, कोई एकाध ही किस्मत वाला होता है जिसकी नैया किनारे लगती हैं।
विशाल शर्मा
मेरा नाम विशाल शर्मा है । मेरा जन्मस्थान मऊ (सुठालिया), जिला- राजगढ़, मध्यप्रदेश है । मैने बनारस से कर्मकाण्ड का अध्ययन किया । मानित विश्वविद्यालय दिल्ली से संस्कृत में डिप्लोमा प्राप्त किया तथा वर्तमान में राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बी. टेक में अध्ययनरत हूं साथ ही भोज ओपन विश्वविद्यालय से बी.ए. में अध्ययन कर रहा हूं ।
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