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Ithlati Hai Chandni Raat / इठलाती है चांदनी रात काव्य संग्रह

Author Name: Parveen Kumar Jindal | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

निसर्ग का साथ 

गिलास जब

लगता है खाली

तब भी भरा होता है

हवा से

ऐसे ही हम भी कभी

लगते अकेले

पर कोई

साथ रहता सदा

जैसे खुदा

या निसर्ग

या समूची सृष्टि

वो हवा जो

दरख्तों-फूलों से

सुगंध लायी

होके शीतल

पवन टकरायी

जैसे बात करती

मन में मोद भरती

समूची प्रकृति ही जैसे

बहुत कुछ कहती

स्थिर लगता आकाश है

पर बादल भी

पल-पल रंग-रूप अपना

रहे बदल

और चल रहे

साँझ ढलती धीरे-धीरे

तारे हैं निकल रहे

चाँद भी है चल रहा

कितना कुछ बदल रहा

निसर्ग में मौन भी

बहुत कुछ है कहता रहा

पर सुन सकता सिर्फ

कोमल भाव-प्रवण मन

संवेदनशील अनवरत

करता है सृजन

नवसृजन का पावन प्राण

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प्रवीन कुमार जिंदल

प्रवीन कुमार, पिता का नाम रामशरण जिंदल है। 13 मार्च 1990 को गांव-कन्हौरा, जिला- रेवाडी(हरियाणा) में जन्म। बचपन से ही कविता कहानी लिखने का शौक। देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं बाल भास्कर, बाल भास्कर (हरिभूमि), देवपुत्र, बच्चों का देश, उजाला, साहित्य अमृत में रचनाएँ प्रकाशित। "सागर की लहरें" लघुकथा संकलन ज्ञानमुद्रा प्रकाशन भोपाल से प्रकाशित। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन।
 

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