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JEENA SEEKHNA PADEGA, CORONA KE SATH / "जीना सीखना पड़ेगा, कोरॉना के साथ "

Author Name: Advocate Naresh Panghal | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

जीवन कितना अनमोल है , इस बात का पता तब चलता है , जब हमारी सांसे छूटने को होती है। उस क्षण हमारे अंदर जीने की एक नई आस जाग जाती हैं। हम जीना चाहते है, हमे जीवन की कीमत समझ आने लगती हैं। कोरॉना भी हमारे जीवन में यही क्षण लेकर आया था! मैने और अपने देखा ही होगा कि कितनी हाहाकार मची हुई थी! चारो तरफ डर का साया छाया हुआ था! समय के साथ यह और भी खतरनाक होता गया! जीवन घरों में कैद था, फिर भी आजादी की मांग कोई नहीं कर रहा था,क्योंकि बाहर कोरॉना फैल रहा था! खालीपन, अकेलापन, सुनसान सड़के, शांत माहौल प्रकृति का मुख जरूर खोल रहे थे। प्रकृति में कुछ नयापन दिखाई दे रहा था पर जीवन के सभी रंग फीके पड़ चुके थे ! इस महामारी से हर कोई परेशान था!! कल,आज और कल में ,जो बीत गया,वो हम सब को पता है, क्या था.? हम कुछ इस तरह व्यस्त थे, हमारे पास सोचने तक का वक्त न था पर हमें आज का पता है कि हम किस संकट से जूझ रहे हैं!! लेखक ने हर तबके/वर्ग के लोगों के दर्द को बड़ी ही सहजता से अपनी पुस्तक # जीना सीखना पड़ेगा, कोरॉना के साथ # "काव्य संग्रह" में उतारा है। कोरॉना के चलते कैसे शिक्षा का रुख गया और कैसे मजदूरों का सुख गया, कोई चल दिया न जाने किस आस में कुदरत ने यह क्या खेल, खेल दिया! चहरा छुपाया बिन गलती के, कोरॉना ने फिर भी डराया भरी बस्ती में!!"जीना सीखना पड़ेगा,कोरोना के साथ" , "काव्य संग्रह" में लेखक ने कोरॉना के हालातो को कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है!यह काव्य संग्रह लेखक ने कोरॉना के आगमन के समय और उसके कुछ महीनों में क्या प्रभाव हुए ,तब लिखा था,पर प्रकाशित अब हुआ है।

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एडवोकेट नरेश पंघाल

"एडवोकेट नरेश पंघाल" का जन्म 18 जून 1998 को हिसार जिले के आर्य नगर गांव में हुआ। उनका पैतृक गांव गंगवा था!उनके पिताजी एक किसान हैं।अपनी कृषि भूमि आर्य नगर के समीप स्थित होने के कारण उनके पिताजी सन् 1988 के करीब परिवार सहित वही जाकर रहने लगे! उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही एक निजी स्कूल से हुई! आर्थिक स्तिथि खराब होने के कारण माध्यमिक शिक्षा उन्होंने गांव के ही गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल से प्राप्त की ! मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखने के कारण उनका जीवन संघर्षपूर्ण रहा! कुछ नया सीखने की लालसा के चलते उन्होंने वकालत करने का फैसला किया। जिसके लिए उन्होंने शहर के महाविद्यालय में प्रवेश ले लिया! पढ़ाई के साथ-साथ उनकी विशेष रूचि लिखने में थी । वह किसी भी चीज को अवलोकन कर लिखने में समर्थ हैं। उन्होंने 2021 में कानून में अपनी स्नातक की शिक्षा उत्तीर्ण की और उसके बाद से ही वो ‘जिला व सत्र न्यायालय’ हिसार में एक अधिवक्ता के बतोर कार्य कर रहे हैं।

    """सपने देखे हैं,अभी सपनों का सच बाकी है

         कदम बढ़ाए हैं अभी तो,मंजिल का सफर बाकी है

         फूल मिलेंगे या कांटे,

         अभी तो रेगिस्तान का समंदर बाकी है,

         खत्म नहीं हुआ,यह शुरुआत है

         अभी तो बहुत कुछ बाकी है,मैं फिर लौटूंगा!!"""

         

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