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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकाव्य संग्रह ‘जीवन का ताना - बाना' में जिंदगी, समाज, रिश्ते, अध्यात्म, और समसामयिक घटनाओं को सरल व सहज भाषा में प्रस्तुत किया गया है। इन कविताओं में अगर दार्शनिकता का पुट है तो तीखे व्यंग्य भी भरपूर हैं। यह काव्य सँग्रह आपको एहसास दिलाता है कि किस तरह से हमारा जीवन, रिश्ते - नातों, प्यार - वफ़ा, यारी - दोस्ती, देश - दुनिया और जज्बातों के जाल में उलझा रहता हैं। जैसा की एक कविता में लिखा भी है
“कोई रेशम की सीधी डोर नहीं,
जालों का ताना - बाना है ये जीवन”।
इस काव्य संग्रह की कविताएं बहुआयामी कलेवर लिए हुए हैं जो न केवल चौंकाती हैं बल्कि गहन चिंतन को भी मज़बूर कर देती हैं। यही इस काव्य सँग्रह की सबसे बड़ी विशेषता है।
दीपक शर्मा
जोधपुर में जन्मे दीपक शर्मा बी.इ इलेक्ट्रॉनिक्स एवं कम्युनिकेशन में स्नातक हैं। जीवन का ताना - बाना इनका पहला काव्य संग्रह है।
ईमेल id :- deepak040384@gmail.com
ट्विटर id :- @Deepakece08
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