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Jeewan Garam Chai Ki Pyali / जीवन गरम चाय की प्याली काव्य संग्रह

Author Name: Yesh Pal Singh 'yash' | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

यशपाल जी की रचनाओं से गुज़रते हुए ऐसा प्रतीत होता है जैसे जीवन के सूक्ष्म निरीक्षण की अनबुझ अनुभूतियाँ जीवंत होकर रचनाओं में उभर रही हैं। उनकी रचनाएँ जीवन को समग्रता के साथ देखने का आग्रह करती हैं। वे सारे प्रश्न जो कभी न कभी हमारे सामने आकर खड़े हो जाते हैं इस संग्रह में मौजूद हैं।….उन्होंने गरम चाय की एक प्याली में सम्पूर्ण जीवन के तथ्य को समाहित कर दिया है। जीवन का विस्तृत आयाम, उतार-चढ़ाव का अनबुझ द्वन्द और विचारों की अकुलाहट सभी कुछ उन्होंने एक प्याली चाय में ऐसे ढाल दिया है जैसे वे कहना चाहते हों कि अगर हम जीवन को सही अर्थों में समझ कर आत्मसात कर लें तो जीवन गरम चाय की तरह सरल, तरल और आनंदमय हो जाए।

छोटे-छोटे दोष खलेंगे

शुरू-शुरू में होठ जलेंगे

आरंभिक असुविधा होगी

फिर आदत पड़ जाने वाली

जीवन गरम चाय की प्याली

यशपाल जी की रचनाओं में जीवन के यथार्थ का अद्भुत दर्शन मिलता है। उनके जीवन-दर्शन में कल्पना की मनमोहक रंगोली नहीं बल्कि पुरुषार्थ का उद्घोष है जो जीवन के अनछुए आयामों को प्रतिपादित करता है। जीवन को देखने का उनका नजरिया बिल्कुल स्पष्ट है। उनके कहन में विश्वास का प्रखर स्वर गुंजायमान होता है :

मत किसी पदचाप से आगे बढ़ो तुम,

रोज अपने आप से आगे बढ़ो तुम,

और पैमाने सभी के व्यक्तिगत हैं,

दूसरों की नाप से आगे बढ़ो तुम।

प्रस्तुत संकलन को जीवन दर्शन का अद्भुत दस्तावेज कहें तो गलत नहीं होगा। सहज और सरल भाषा में गूढ़ बातों की अभिव्यंजना यश जी के लेखनी की विशेषता है। 

-ज्ञानचंद मर्मज्ञ, कवि,लेखक,संपादक

पूर्व सदस्य : टेलीफोन सलाहकार समिति,भारत सरकार।

अध्यक्ष : साहित्य साधक मंच ,बेंगलुरु

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यशपाल सिंह 'यश'

लेखक का जन्म उत्तर प्रदेश में जनपद मुज़फ्फर नगर के गाँव भंगेला में हुआ। उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. की डिग्री प्राप्त करने के बाद 37 वर्ष बैंक की सेवा में बिताये। इस अवधि में देश के अलग अलग प्रदेशों में रहकर उन्हें विभिन्न संस्कृतियों से परिचित होने का अवसर मिला। इसी दौरान लेखन की शरुआत हुई और 2016 में सेवानिवृत्ति के साथ ही उनका पहला काव्य संग्रह, 'मंज़र गवाह हैं' प्रकाशित हुआ। उसके बाद 2019 उनकी दूसरी पुस्तक आई वह थी श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों  दोहों में रूपांतरण, 'हिंदी गीता काव्य', जो काफी चर्चित रही। 2021 में उनका काव्य संकलन, 'आँखिन देखी' प्रकाशित हुआ।  इस बीच लेखक ने विज्ञान कविताओं के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई। उनकी कविता 'विज्ञान प्रगति' जैसी  प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित हुई तथा आकाशवाणी दिल्ली व दूरदर्शन से उनकी कविताओं का प्रसारण हुआ। लेखक के बारे में प्रख्यात लेखक, कवि, चिंतक व पत्रकार पंडित सुरेश नीरव का कहना है 'यशपाल सिंह यश जी समय सापेक्ष संवेदनाओं और वैज्ञानिक चेतना से लैस  एक ऐसे कवि हैं जो अपने आसपास  होने वाली हर हलचल और घटना  को  अपनी सतर्क दृष्टि से देखते हैं और फिर उन्हें बड़ी शाइस्तगी से अपनी कविता में ढाल देते हैं।  सारा-का-सारा परिवेश इनकी कविताओं के आंगन में टहलकदमी करता हुआ दिखाई देता है। हमारे परिवेश में जो विसंगति है वह कितने सलीके से यश जी के काव्य-कथन की वक्रोक्ति  बन जाती है।  वह लहजा और कहन ही यश जी को कवियों की भीड़ से अलग अपनी एक चमकीली पहचान के साथ अलग खड़ा कर देता है।'

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