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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palकविताओं की उत्पत्ति कभी भी, कहीं भी हो जाती है। ये मन के उद्गार होते हैं जो स्याही में बह निकलते हैं और शब्दों का रूप ले लेते हैं।कवितायेँ पक्षियों की मधुर चहचहाहट सी मनोहर होती हैं। इन कविताओं को पढ़ने या इनका सस्वर पाठ करने में निर्मल आनंद की अनुभूति होती है। कवयित्री ने अधिकतर कविताओं के रूप को शुद्ध हिंदी में सुसज्जित करने का प्रयत्न किया है जिससे अपनी राष्ट्र भाषा का सौंदर्य यथास्थान बना रहे।इस पुस्तिका में कवितायेँ कभी मन के विचारों की अभिव्यक्ति दर्शाती हैं, तो कभी किसी परिस्थिति को वर्णित करती हैं। इनमे लगभग सभी कवितायेँ विविध साहित्यिक मंचों से पुरस्कृत हुयी हैं।
ललिता वैतीश्वरन
ललिता वैतीश्वरन पेशे से एक स्त्री-रोग विशेषज्ञ हैं जिन्हें हिंदी व् अंग्रेजी दोनों ही भाषाओँ में लेखन का शौक है। इनकी 5 काव्य संग्रह की पुस्तिकायें और एक कहानी संकलन प्रकाशित हो चुकी हैं। इनकी कवितायेँ कई काव्य संकलनों का हिस्सा हैं। इनकी लेखनी मुख्यतः सामयिक एवं प्रासंगिक होती हैं। मनुष्य जीवन से जुड़े कई नाज़ुक पहलुओं पर लिखने का इनका एक विशेष रुझान है।
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