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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palयह पुस्तक हमारे "मीठे और कड़वे" बचपन की एक छोटी सी श्रद्धांजलि है। बचपन की यादें अंततः आजीवन स्मृति बन जाती हैं जो हमेशा हमारे चेहरे पर मुस्कान लाती है। केवल बड़े होने पर ही बच्चे के वास्तविक मूल्य का पता चलता है क्योंकि बच्चे इन चीजों को नहीं समझते हैं। इसके अलावा, बुरी यादें व्यक्ति को उसके पूरे जीवन का शिकार करती हैं। इसके अलावा, जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं हम अपने बचपन के प्रति अधिक लगाव महसूस करते लगते हैं, और हम उन दिनों को वापस पाना चाहते हैं, लेकिन हम नहीं कर सकते। इसीलिए कई लोग कहते हैं कि 'न तो कोई दोस्त है और न ही कोई दुश्मन है'। क्योंकि जो समय चला गया वह वापस नहीं आ सकता है और न ही हमारा बचपन। हमने यहां आपके लेखन के माध्यम से उन बचपन की यादों को हमारे साथ ले जाकर आपके चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश की है।
उज्जवल मिश्रा
कोलकाता के रहने वाले उज्जवल मिश्रा ने एक इंस्टिट्यूट से डिजिटल मार्केटिंग में डिप्लोमा किया है और अब वो स्क्रिप्ट राइटिंग की पढ़ाई कर हैं | लेखन में रूचि एवं ऑनलाइन कविता कम्पीटीशन्स में कई सर्टिफिकेट मिलने के बाद उन्होंने बतौर लेखक कुछ प्राइवेट फर्म्स में काम करना शुरू किया और अब वो फ्रीलान्स राइटर हैं| उनका यह मानना है की इन्सान अपने अनुभवों में ही अपने भाव, उदेग या संयोग मिलाकर लेखनी उठाता है और अपना आनन्द, सुख या पीड़ा को अपनी लेखनी द्वारा पन्ने पर उड़ेल देता है| अपनी कवितायेँ एवं कहानियों से वो इसी तरह लोगों तक अपने विचार पहुँचाना चाहते हैं | उनके लिए "लेखन ही जीवन है" |
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