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Kavyanjali / काव्यांजलि

Author Name: Shishupal | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

प्रस्तावना

"काव्यांजलि"

भाव संचरण का मार्ग मौखिक अभिव्यक्ति या लेखनीकृत व्यंजना के द्वारा सुसज्जित होता है। दोनों ही मार्ग सुग्राहय एवं प्रचलन में सर्व-स्वीकार्य हैं।

प्रस्तुत संकलन "काव्यांजलि" लेखनीकृत अभिव्यक्ति की अनुभूत भावों की एक समेकित पोटली है। जिसे खोलने पर कविता के रूप में जीवन के शैशवकाल से लेकर अंतिम पड़ाव तक की यात्रा को यथार्थ रूप से अभिव्यक्त करने का प्रयास किया गया है। हम और हमारा देश ग्रामीण पृष्ठभूमि के सशक्त आधार पर खड़ा हुआ है। इसलिए इस संकलन में वास्तविक पृष्ठभूमि पर आधारित विषयों पर ध्यान देकर उन्हें पुनर्जागृति हेतु उकसाने का प्रयास किया गया है। जन-जन के अंतर्मन में बीते काल के सुसुप्त भावों को जागृत करने का बीड़ा उठाया गया है। चित्र रेखित हो जाना इस संकलन की विशेषता रहेगी। प्रत्येक कविता कोई न कोई गूढ़ संदेश देते हुए अवश्य दिखेगी और पाठक के हृदय में उसका अतीत चित्रित हो रहा है ऐसा भी अभासित कराएगी।

यद्यपि इस संकलन में संग्रहीत काव्य कृतियां बोध से प्रेरित अनुभूत भावों को प्रसारित करती है। फिर भी जन-जन के सुधी मन में कहीं न कहीं अपना स्थान जरूर बना लेती है। इसीलिए यह संकलन जन मानस हेतु प्रस्तुत है।

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शिशुपाल

रचनाकार परिचय

इस संकलन में समाहित समस्त रचनाओं का काव्य रूप में समेकन एक ऐसे रचनाकार द्वारा किया गया है जिनका शैशवाकल ग्रामीण परिवेश में व्यतीत हुआ है। ग्रामीण व्यवस्था के पुरातन समय की प्राथमिक शिक्षा प्रणाली से ही होकर आगे का सफर तय किया है। जीवन का अधिकांश समय ग्रामीण संरचना के इर्द गिर्द ही व्यतीत हुआ है। ऐसे परिवेश में पले-बढ़े लेखक/रचनाकार के व्यक्तित्व पर पड़ी ग्रामीण घटनाओं की छाप इस संकलन में कविता के माध्यम से अभिव्यक्त हुई है। शैशवकाल से आगे यौवनकाल से वृद्यावस्था के प्रारंभ तक सारा जीवन जनहित की आर्थिक गतिविधियों को सशक्त करने की योजनाओं के पोषण हेतु बैंक सेवा में व्यतीत हुआ है।

रचनाकार

शिशुपाल

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