Share this book with your friends

Khair! Jaane Do / खैर! जाने दो

Author Name: Gurpreet Bareh | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

मैं कविता के बारे में इतना ही कहना चाहता हूं की कविता हमारे अंदर ही होती है ।हमारी संवेदना और हमारी अंतरात्मा के अंदर रहती है। मुझे लगता है कविता मेरे अंदर मेरे मन और मेरी आत्मा को जोड़ने वाले पुल का काम करती है। कविता हमें वह दृष्टि देती है जिससे हम वह देख सकते हैं जो साधारण आंखों से नहीं देख सकते। कुछ घटनाएं ,कुछ यादें, और कुछ बातें हमारे अंतर्मन में अंकित हो जाती हैं ।जिसे हम कभी भूल कर भी भूल नहीं सकते । वही चीजें अपने आप कविताओं का हिस्सा बन जाती हैं।मैं कभी सोच समझकर नहीं लिखता मैं तो तभी लिखता हूँ। जब मुझे कूछ बेचैन करता है ।कविता बेचैनी से सहजता की ओर जाता रास्ता है मैं मानता हूँ कि कविता उलझे हुए मन को सरलता की ओर ले जाती है ।

Read More...
Paperback
Paperback 150

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

गुरप्रीत बरेह

मैं गुरप्रीत बरेह । बरेह मेरे गाँव का नाम है जो पंजाब के मानसा जिले में पड़ता है। मैं अभी पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में एम, ऐ थीएटर की पढ़ाई कर रहा हूँ। शुरू से ही मुझे कविताओं से प्रेम रहा है। मैं ज्यादातर पंजाबी भाषा में कविता लिखता हूँ मगर कभी कभी हिन्दी में भी लिखता हूँ।इस किताब की ज्यादातर कवितायें हिन्दी में ही मेरे मन में आई। लेकिन कुछ कवितायें वास्तव में पंजाबी में थी जिन्हें पंजाबी का हिंदी अनुवाद भी कहा जा सकता है। मैं यह भी स्वीकार करता हूं के मुझ से बहुत सी कमियां रह गई होगी इस पुस्तक में। मैं वास्तव में हिन्दी का कवि नहीं हूँ इस लिए मैं पाठकों से माफ़ी भी माँगता हूँ। यह किताब सिर्फ मेरे मन का एक फुरना है जिसे मैंने शब्दों का लिबास दिया है।

Read More...

Achievements

+9 more
View All