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Kholi Ka Ganesha / खोली का गणेशा Mere Bhav

Author Name: anwita negi | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

अपने माता -पिता का आभार प्रकट करती हूँ। 

हम कितने भी बड़े हो जाएं, सिर्फ एक माता -पिता ही हैं जो हमेशा हमारा ख्याल रखते हैं। 

उनका और बच्चों का रिश्ता सदा रहता है, चाहे फिर वो कहीं भी हो , दिखे या ना दिखे, वो सदा साथ रहते हैं ।  

परमात्मा कहूं या ईश्वर, मुझे अभी कुछ पता नहीं वो क्या है, पर है कोई बड़ी शक्ति जो ये दुनिया चला रही है, बहुत -बहुत धन्यवाद करती हूँ।

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अन्विता नेगी

अन्विता ने अपनी पढ़ाई "आईसीएसआई, नई दिल्ली" से पूरी की और उन्होंने व्यवसाय, लेखांकन और कानून में विशेषता हासिल की।

उनका बचपन डायरी लेखन से भरा रहा, और उन्होंने अपनी साहित्यिक रुचि "अनोखी" पुस्तक से शुरू की, जो हिंदी और अंग्रेजी दोनों में प्रकाशित हुई है। 

प्रेमचंद ऐसे लेखक थे जिनके लेखन का अन्विता पर किशोरावस्था से ही गहरा प्रभाव पड़ा।

उनका लेखन अधिकतर मानवता और सहानुभूति से संबंधित है; इसी पर वह सबसे अधिक जोर देती है और मानती है कि यह सबसे बुनियादी और मौलिक चीज है जिसे अब मनुष्यों में विकसित करने की आवश्यकता है।

मशीनों और तकनीक के युग में मानवता नहीं खोनी चाहिए।

अन्विता ने अपनी पढ़ाई "आईसीएसआई, नई दिल्ली" से पूरी की और उन्होंने व्यवसाय, लेखांकन और कानून में विशेषता हासिल की।

उनका बचपन डायरी लेखन से भरा रहा, और उन्होंने अपनी साहित्यिक रुचि "अनोखी" पुस्तक से शुरू की, जो हिंदी और अंग्रेजी दोनों में प्रकाशित हुई है। 

प्रेमचंद ऐसे लेखक थे जिनके लेखन का अन्विता पर किशोरावस्था से ही गहरा प्रभाव पड़ा।

उनका लेखन अधिकतर मानवता और सहानुभूति से संबंधित है; इसी पर वह सबसे अधिक जोर देती है और मानती है कि यह सबसे बुनियादी और मौलिक चीज है जिसे अब मनुष्यों में विकसित करने की आवश्यकता है।

मशीनों और तकनीक के युग में मानवता नहीं खोनी चाहिए।

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