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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palसभी कहानियाँ मैगजीन में प्रकाशित हैं , पत्रिकाओं का सर्कुलेशन लाखों में है
कहानी का किस्सा खुद में बड़ा दिलचस्प है। इसे सन 2018 के अप्रैल के बाद आए किसी मेल से शुरू करता हूं । एक दिन मेल चेक कर रहा था देखा तो मेरी सहेली के संपादक की तरफ से एक मेल आया था , धन्यवाद देते हुए , कि हम लोग आपके आभारी हैं , आपकी रचनाओं ने हमारी पत्रिका को हिंदी की सर्वाधिक बिकने वाली पत्रिका बना दिया है।
मैंने देखा तो, मुझे गूगल पर विकिपीडिया में डाटा मिल गया पत्रिका का सर्कुलेशन तीन करोड़ वार्षिक दिखा रहा था। लेकिन
बात कहीं बड़ी थी और इसे गंभीरता से देखने पर यह मुझे और बड़ी लगी।
किसी पत्रिका का करोड़ों में सर्कुलेशन और उस पत्रिका के संपादक का अपने लेखक को धन्यवाद देते हुए मेल भेजना साथ में यह अनुरोध कि आप अपना सहयोग हमें इसी तरह प्रदान करते रहेंगे , मुझे रोमांचित करने वाला था।ऐसी पत्रिका में छप जाना ही बड़ी बात होती है धन्यवाद की बात कौन करे । खैर मैं लगातार लिख रहा था और छप भी रहा था यह प्रकाशन इतना हो चुका था कि मेरे छपने की भूख मिट चुकी थी लेकिन इस मेल ने मुझे लिखने के प्रति गंभीर कर दिया।
मैं प्रतिमाह लाखों लोगों तक अपनी कहानियों के पढ़े जाने को लगातार सोच रहा था। अभी बहुत कुछ बाकी था।
न्यूज पेपर में व्यंग्य लिखते हुए मेरा अनुमान सत्तर हजार एक लाख रीडर्स तक रहा , फिर पता चला ऐसा नहीं है किसी भी नेशनल पेपर का एडिट पेज पूरे देश भर में वही रहता है और कई पेपर्स की यह सर्कुलेशन साठ सत्तर लाख प्रतिदिन है।
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