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Maathe Kaa Tika Mita Hua / माथे का टीका मिटा हुआ

Author Name: Aditya Kumar Daga | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

एक बिन्दु से लेकर बृह्रमांड के वृहत्ताकार में एक विरोधाभास है बिन्दु को देखो तो व्यक्ति एकाग्रता को प्राप्त करने लगता है। और एकाग्रता मानसिक चेतनता को जन्म देती है। दूसरी और ब्रम्हाण्ड को समेटने की चेष्टा में मन विभ्रम हो एकाग्रता खो बैठता है। अचेतनता हावी होने लगती है। व्यक्ति को लौट कर बिन्दु पर नजर टिकानी पड़ती है अपनी खोई हुई एकाग्रता पाने के लिए।हां तो मेरे कवि ह्रदय ने उकसाया चलो बृह्रमांड की सैर कर आये और मैं सपनों में, भ्रमों में, अवचेतनता में छूने लगा उन पहलुओं को जो शायद चेतन मन छूने नहीं देता। लेकिन भला बृह्रामंड का सत्य हाथ आया है किसी के सिवाय एक आसान से निष्कर्ष के – कि जब तक सष्ष्टिक्रम चलते रहेगा,जब तक ब्रंद्याण्ड में तारे नक्षत्र ग्रह बनते, बिगडते रहेंगें, जब तक जीव सृजन होता रहेगा तब तक उत्थापन,विघटन,प्रलय व संहार व तन ह्रास होता रहेगा, ये एक क्रम है होता रहेगा, चलते रहेगा, तो फिर जितना बड़ा सच सृजन है, उतना बड़ा सच विघटन भी। इस आसान से निष्कर्ष ,के विघटन पहलू ने मेरे कवि- ह्रदय को अंदोर दिया क्योंकि सृजन रातों रात नहीं होता युग आये चले गये  सृजन एक आकार लेता रहा पर- विघटन जब हुआ यूं हुआ मानों आभास ही ना हुआ, हां संहार, अवसाद से लेकर उच्छेद और उत्पाटन तक सब कुछ कितना शीघ्र हो गया। सोचने का, लिखने का, वक्त कहां मिला।

लघु शब्दों में और छोटे माप दण्ड में कहूं : एक पूरा मौसम और माहौल आया, मिलन और विदाई की खुशियाँ  और कसक लाया, किसी ने पुलकित कुमकुम का थाल सजाया - आरती उतारी और माथे पर रोली का टीका लगाया। मगर क्या हुआ अनायास ये तो अहसास करने का वक्त भी न मिला : एक पल आया और माथे की रोली वह गयी और मेरा कवि ह्रदय देखता रह गया दर्पण में: 

माथे का टीका मिटा हुआ

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आदित्य कुमार डागा



आदित्य कुमार डागा ने करीब तीस वर्षो तक एक प्रोजेक्ट व मार्केटिंग कंस्लटेन्ट के तोर पर स्वतन्त्र कार्य करते रहे जिस कारण कार्य क्षेत्र की व्यापकता ने विविध कार्यों को करने की प्रेरणा दी साथ ही व्यापक विविध क्षेत्रों के दौरे ने समाज के हर वर्ग को समझने का अवसर दिया तथा  मानव सवेंदनाओ की अनुभूति का चिज्ञण करने का मौका दिया। इसी विशेषता के कारण स्व अध्ययन के साथ साथ स्व आत्मिक अनुभूतियों ने ज्योतिष,  हस्तरेखा, अंकशास्त्र तथा वास्तु-शास्त्र के समग्र पठन पाठन का तथा सलाहकारिता का अवसर दिया। कई ब्लाग लिखे , चित्र – काव्य, काव्य ग्रंथों, कविताओं, कहानियों की कई किताबों की रचना की। 

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