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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palछायावादी कवयित्री, डॉ. तारा सिंह द्वारा रचित काव्य-संग्रह, “मधुरिमा”, अद्भुत रूप से समृद्ध और अभिव्यक्ति संपन्न है|इसकी काव्यभाषा में गहरी अनुभूति सम्पन्नता और रोमांसलता का एक सांस्कारिक तेवर विद्यमान है| इसमें कोई शक नहीं कि डॉ. तारा, भाषा संक्षिप्तता और बिम्बात्मक क्षमता का मर्म पहचानने में निपुण हैं| इनकी कविताओं में अनुभूतियों की भीतरी झनझनाहट ह्रदय-मन को हिलाकर रख देती है| करुणा का आवेश और शब्द का स्पर्श पाते ही, शब्द-शब्द बोल उठता है| मधुरिमा में संग्रहीत जितनी भी कवितायें हैं, सब के सब सार्थकता की गुंज से भरी हुई हैं| डॉ. तारा की कवितायें परम्परा और आधुनिकता की आंतरिक लय के भीतर से गुजरती हुई, मानव समाज की अस्मिता को रूपायित करने का भागीरथ प्रयत्न हैं, जो मानव जीवन –संघर्ष को एक बृहत्तर अर्थ देती हैं|
मैंने देखा, इन रचनाओं में भौतिक, आध्यात्मिक, दोनों दर्शनों से जीवनोपयोगी तत्वों को लेकर, जड़-चेतन सम्बन्धी एकांगी दृष्टिकोण का परित्याग कर, व्यापक सक्रीय सामंजस्य के धरातल पर, एक भरी-पूरी मानवता का निर्माण करने की कोशिश की गई है, जो आज के नवयुग के लिए सर्वोपरि आवश्यकता है|
जीवन दर्शन के अलावा और जिन वस्तुओं की ओर लेखिका का ध्यान आकृष्ट हुआ है, वह है, गरीबी के क़दमों तले कुचले जाते, मजबूर इंसान की आहें, जिसे पढ़कर बरबस ही पाठक का मन मार्मिकता और भावुकता से भर उठता है| सामाजिक कुरीतियाँ और विषमतायें, अपनी कविताओं द्वारा उजागर करती, लेखिका द्वारा रचित यह कविता-संग्रह एक उत्कृष्ट साहित्य है| हमारे समाज को ऐसे साहित्य की ही आवश्यकता है, जिसे पढ़कर, हमारी आनेवाली नई पीढ़ी, देश, समाज की स्थिति को समझ सके|
डॉ. तारा सिंह
डॉ. तारा सिंह, जाने-माने हिंदी साहित्यकार, एक बहुमुखी लेखक, कवि, लघु कथाकार, उपन्यासकार, गजलकार, फिल्मी गीतकार और निबंध रचनाकार के रूप में प्रसिद्ध हैं| अब तक उनकी 50 पुस्तकें प्रकाशित होकर विश्व-व्यापी ख्याति अर्जित कर चुकी हैं| सामाजिक और पारिवारिक मुद्दों, व्यक्तिगत और सामाजिक विषयों, जीवन के दर्शन और वास्तविकता, जन्म और मृत्यु चक्र, आदि से सम्बंधित इन्होंने अपनी भावनात्मक और विचारशील रचनाओं के लिए व्यापक प्रशंसा प्राप्त की है|
इनकी रचनाएँ हमेशा वास्तविक तथ्यों और व्यक्तियों / परिवार के सदस्यों / दोस्तों के बीच संबंधों के मूल पहलुओं से संबंधित होता है| इस प्रकार, वे न केवल सुखद प्रेम का चित्रण करती है, बल्कि निराशा, विश्वासघात और अव्यवस्था जैसे विषयों पर भी लिखती रही हैं|
ये वर्तमान में www.swargvibha.com (एक प्रमुख हिंदी वेबसाइट) और स्वर्गविभा हिंदी त्रैमासिक पत्रिका के प्रधान संपादक और प्रशासक के रूप में काम कर रही हैं|
इन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा 257 पुरस्कार / सम्मान / मानदोपाधि / ट्राफी से सम्मानित किया जा चुका है| इनकी रचनाएँ / पुस्तकें अब www.swargvibha.com और www.kukufm.com (ऑडियोबुक के रूप में), Google पुस्तकें, www.amazon.in, www.flipkart.com, इंस्टा पब्लिश, सुमन प्रकाशन, www.pothi.com, सेंट्रल एन्ड स्टेट लाइब्रेरीज़ इन इंडिया और दुनिया भर के 30 अन्य वेबसाइटों पर, दुनिया भर में उपलब्ध हैं| इनकी जीवनी बार्न्स एंड नोबल (यूएसए 2011) द्वारा और रिफासिमेंटो इंटरनेशनल द्वारा “हूज़ हू” 9 बार (2006-2019) और विकिपीडिया में प्रकाशित की गई हैं| इनकी रचनाएँ हमेशा गंभीर विचारों, विषयों, घटनाओं की गति और जीवन के दर्शन से भरी होती हैं|
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