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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal‘रामायण’ आदिकाव्य है, न केवल भारतवर्ष का, अपितु सकल मानव-समाज का भी। महर्षि वाल्मीकि कृत यह काव्य पुस्तक वस्तुतः तत्कालीन इतिहास है: उस राजवंश का, जिसकी कीर्ति हज़ारों वर्ष पश्चात् भी आज तक अक्षुण्ण है। उस राजवंश के तत्कालीन यशस्वी सम्राट ‘राम’ का इसमें वर्णन है। राम-राज्य की व्यवस्था, जिसका वर्णन ऋषि ने किया है, आज भी शासन-व्यवस्था के हेतु आदर्श मानी जाती है।
लेखक ने संस्कृत और हिन्दी के ग्रंथ का मात्र सार रूप यहाँ प्रस्तुत किया है; सब प्रकार की काव्यात्मकता और अतिशयोक्तियों का निवारण करते हुए। साथ ही, आलंकारिकता को आधुनिक संदर्भों से जोड़ते हुए ऐतिहासिक-वैज्ञानिक अर्थों में भी विषय को समझाने का प्रयास किया है।
कितना यह किसको भाता है, यह तो हर व्यक्ति की अपनी-अपनी सोच पर निर्भर करेगा; बहरहाल लेखक ने अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है, वह भी इस दृष्टिकोण से कि नयी पीढ़ी अपनी बहुमूल्य विरासत – गौरवशाली इतिहास -- की ओर एकदम ध्यान नहीं दे रही है। उसका एक कारण ग्रथों का संस्कृत में होना, और अत्यधिक प्रतीकात्मक होने के कारण कपोल-कल्पित सा लगना, भी हो सकता है; उसी कारण का निवारण करने का यह विनीत प्रयास है।
'विदेह' अरविन्द कुमार
6 अप्रैल 1957 को जन्मे, एक छोटे से बसेरे से आए हुए, अत्यंत अभावग्रस्त माता-पिता की संतान जिन्हें खाने-कमाने का तो शऊर ख़ैर नहीं था किंतु जो उच्च आदर्शों के साथ जीते थे और व्यवसाय के नाम पर अध्यापन या ट्यूशन देकर आजीविका कमाने की कोशिश करते थे, ‘विदेह’ अरविन्द कुमार भौतिकी में स्नातकोत्तर हैं, साथ ही एक वरिष्ठ बैंकर भी रह चुके हैं। उनके शौक़ों में पढ़ाई - चाहे वह हिंदी साहित्य की हो, चाहे इंग्लिश लिटरेचर की, या कुछ-कुछ संस्कृत साहित्य की भी - मुख्य है; जिसमें वह विश्व-साहित्य को प्राथमिकता देते हैं। उनकी रचनाएँ तत्कालीन ‘कादम्बिनी’ जैसी लब्ध-प्रतिष्ठ पत्रिकाओं में काफ़ी पहले छप चुकी हैं; और उनके अन्य लेख एवं कविताएँ अन्य हिंदी, अंग्रेज़ी पत्र-पत्रिकाओं में यदा-कदा छपते रहे हैं।
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