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Majdoor mat kaho unhe / मजदूर मत कहो उन्हें

Author Name: Dr. Neelu Sameer | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

प्रस्तुत पुस्तक भारत के विभिन्न राज्यों के लेखकों एवं कवियों की स्वतंत्र अभिव्यक्तियों का एक संकलन है, जो मजदूरों की दयनीय स्थिति, उनकी समस्याओं, दुःख-तक़लीफ़ों की ओर पाठकों की संवेदनाओं को जागृत करने का एक प्रयास है, जिससे हम सभी उनकी समस्याओं को समाप्त करने की दिशा में सार्थक प्रयास कर सकें एवं एक जागरूक नागरिक और संवेदनशील लेखक होने के उत्तरदायित्व का निर्वहन कर सकें। समस्त प्रकाशक एवं संपादक मंडल द्वारा इस पुस्तक को त्रुटिरहित बनाए रखने का पूरा प्रयास किया गया है। यह पुस्तक प्रतिवर्ष 1 मई को मनाए जाने वाले 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस' पर प्रकाशित की गई है।

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डॉ. नीलू समीर

डॉ. नीलू समीर
   संपादक/संकलनकर्ता

डॉ नीलू समीर एक शिक्षाविद्, कवयित्री, लेखिका एवं सम्पादिका हैं। उनकी अनेक पुस्तकें 'चाइल्डहुड एंड ग्रोइंग अप', 'लैंग्वेज अक्रॉस द करिकुलम', 'इमोशन्स इन एजुकेशन', काव्य संग्रह 'कागज़ी पैरहन', साझा काव्य संकलन 'मनस्विनी', 'कहाँ गए वो दिन', 'लव लैफ़्ट अनसैड', 'ज़ख़्मी दिल', 'सिलसिले प्यार के', 'आईना', 'कहकशाँ', 'बस अब और नहीं', 'इज़ इट लॉकडाउन..' , 'नेचर हैज़ आ स्ट्रोक', 'लफ़्ज़ ए आलम' प्रकाशित हो चुकी हैं। स्त्री संदर्श, भावमंजरी भाग 1 एवं 2 तथा 'उद्गार : छुए-अनछुए पहलू', का संपादन कार्य कर चुकी हैं। अनेक रिसर्च पेपर्स प्रकाशित हो चुके हैं एवं कुछ प्रकाशनाधीन हैं, साथ ही राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में पढ़ चुकी हैं। इन्होंने 4 विषयों गणित, कम्प्यूटर विज्ञान, अंग्रेजी साहित्य, शिक्षाशास्त्र में परास्नातक के साथ 'शिक्षाशास्त्र' में पी एच डी एवं नेट साथ ही 'एडल्ट एंड कंटीन्यूइंग एजुकेशन' में भी नेट उत्तीर्ण किया है। 

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