You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal'मौन-मुखर कविताएँ' एक साझा काव्य-संकलन, प्रयास है नए कवि/कवयित्रियों को भी प्रकाशित एवं प्रतिष्ठित साहित्यकारों के साथ एक मंच प्रदान कर, उनकी कल्पनाओं को नई उड़ान देने की। यह प्रयास है कि जिन हाथों ने कलम थामने की, अपने भावनाओं को कागज़ पर उकेरने की बात सोची, उनकी सोच को एक मुकाम देकर, हिंदी काव्य-जगत में एक प्रकाशित कवि/कवयित्रियों के रूप में लाने की। यह प्रयास है नवीन रचनाकारों को पूर्व प्रकाशित रचनाकारों के साथ लाकर, उनके अनुभव, साहित्य-साधना को करीब से जानने और सीखने का अवसर प्रदान करने का।
दोस्तों, अक्सर यह देखने मिलता है कि कुछ कविताएँ पढ़कर हमारे भीतर एक द्वंद्व, एक कोलाहल प्रारंभ हो जाता है, किंतु लब 'मौन' हो जाते हैं। वही दूसरी तरफ़ कुछ कविताएँ मानों अपने हर शब्द के साथ एक बातूनी बालिका की तरह 'मुखर' हो जाती हैं। ऐसी ही कुछ अभिव्यक्तियों की बूँदों को हम इस छोटी-सी सरिता रूपी काव्य-संकलन में समेटकर आपके सम्मुख लेकर आएँ हैं। 'पोयट्री स्ट्रेज' के सदस्यों के साथ मैं इस काव्य सरिता को आप सभी काव्य-प्रेमियों को सादर समर्पित करती हूँ।
श्रीमती माधुरी मिश्रा 'मधु'
मेरा नाम श्रीमती माधुरी मिश्रा 'मधु' है। मैं नागपुर, महाराष्ट्र में रहती हूँ। मैं एम.ए. ( हिंदी व अंग्रेजी ), बी.एड. तक शिक्षित हूँ। वर्तमान समय में एक प्रतिष्ठित शाला में बतौर हिंदी अध्यापिका कार्यरत हूँ साथ ही हिंदी में पीएच.डी. प्रारंभ कर रही हूँ।
मैंने पहली कविता ग्यारहवीं कक्षा में एक काव्य-स्पर्धा के लिए लिखी थी, जिसमें मेरी कविता पुरस्कृत हुई थी।
बस तभी से कागज़ और कलम में एक अटूट रिश्ता बन गया है। मैं अपने मन की सारी बातें कागज़ पर सजा देती हूँ, फिर चाहे मुस्कुराहटों की किरणें हो या गम में झरते आँसू...!
इस साझा काव्य-संकलन से जुड़े सभी कवि/कवयित्रियों को मैं हृदय से धन्यवाद देती हूँ, जिनके कलम से निकली कभी मौन तो कभी मुखर कविताओं ने मेरी छोटी-सी कोशिश को मंज़िल तक पहुँचाया है और यह प्रयास एक काव्य-संग्रह रूप में आप सभी के सामने है।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.