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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमेरा सफरनामा लिखने का मेरा बस यही मकसद था कि जब से मैनें होश संभाला तब से लेकर आज 22 साल की उम्र तक जीवन में घटित होने वाली घटनाएं समाज मे होने वाली कुरीतियाँ इन सभी चिजो को मैने देखा तो मेरे मन में ये विचार आया कि क्यूँ ना इन सब को अपने लेखन के माध्यम से समाज के समक्ष इसे प्रस्तुत किया जाये और लोगो को ये बताया जाये कि वो जो कुछ भी कर रहे वो गलत है क्योंकि मानव जीवन का उद्देश्य है ईमानदारी ना कि बलात्कारी और भ्रष्टाचारी। अब मुद्दा ये है कि इस पर रोक कैसे लगाया जाये, किसी को उपदेश देना आसान है परन्तु स्वयं के अन्दर परिवर्तन करना उतना ही कठिन है तो उपदेश देने से बेहतर है परिवर्तन किया जाये अपने विचारों का और जहाँ विचार परिवर्तित हुए वहाँ सब कुछ अपने आप सही होने लगेगा। देश के महानुभावों ने देश को तो आजाद करवा दिया लेकिन विचारों की आजादी नहीं मिल पायीं आज तक।
लक्ष्मी सिंह
लक्ष्मी सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूराबघेला गाँव में 7 नवंबर 1999 मे हुआ इनके पिता जी का नाम "श्री राजेश्वर सिंह" जो कि पेशे से एक किसान है और माँ का नाम "ऋतु सिंह" जो कि बाल विकास परियोजना के तहत शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं गाँव के विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद एम. एस इंटर कॉलेज से 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की तत्पश्चात आर.एल पी.जी कालेज से स्नातक की शिक्षा प्राप्त की।
इनके दादा जी "स्व. मंगला प्रसाद सिंह (मंगलेश) " जी हिन्दी साहित्य के शिक्षक होने के साथ - साथ एक कवि और समाज सेवी भी थे।
लक्ष्मी को बचपन से ही लिखने का बहुत शौक था लेकिन इनके सपने कुछ और ही थे रेलवे में नौकरी करने का इनका सपना था बहुत कोशिशों के बाद भी ये सफल न हो सकीं फिर इन्होंने लिखना प्रारंभ किया और बहुत ही कम दिनों में अपनी एक अलग बना लीं इनकी पहली पुस्तक "स्याही के रंग" जिसे "लक्ष्मी सिंह" और "राकेश शर्मा" ने लिखा उस किताब ने
इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड मे जगह बनायीं
इन्होंने 23 संकलन में सह लेखिका के रूप में कार्य किया और बहुत ही बेहतरीन प्रदर्शन रहा इनका क्योंकि लोगो को इनकी रचनाएँ काफी पसंद आयीं ये 86 सम्मान प्रमाण पत्रों द्वारा सम्मानित की जा चुकीं है भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और अफ्रीका के लेखकों के साथ भी कार्य किया और 2021 में सबसे ज्यादा उपलब्धियां कि जिसकी वजह से इनको अचीवमेंट आफ द ईयर का अवार्ड मिला।
मेरा सफरनामा महज़ पांच दिनों मे लिखा गया है
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