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10 Years of Celebrating Indie Authors
"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमेरी जीवन रेखा : कलम
वाकई ही साहित्य समाज का दर्शन है | ये वाक्य भले ही बहुत पहले कही गई होगी परन्तु इसका मूल महत्त्व आज भी उतना ही सार्थक सिद्ध होता है | यह पुस्तक एक संकलन है जिसमे कहानियो तथा कविताओ का अनूठा संकलन है | अधिकतर कहानियां संस्मरण तथा कल्पना पर आधारित है तथा कुछ लोककथाये भी इसमें सम्मिलित है जिसमे जनजातियो की रहन सहन संस्कृति, इतिहास कला की समझ इसमें उल्लेखित है | जो भारतीय समाज का मानो एक प्रतिबिम्ब के सामान ही आपको प्रतीत होगा |
गोविन्द उईके
गोविन्द उईके का जन्म 29 अक्टूबर 1997 को मध्यप्रदेश के हरदा जिले में स्थित एक छोटे से गांव पीपलपानी में हुआ | इनके पिता श्री कुंजीलाल उईके गांव में दिहाड़ी मजदूरी का काम करते है तथा माताजी श्रीमती सुनीताबाई उईके एक गृहिणी है | इनका जीवन बहुत ही उतार - चड़ाव तथा संघर्षो से भरा हुआ है |
इन्हें लिखने की प्रेरणा श्री मुंशी प्रेमचंद जी से ही मिली है | और ये भी अपनी कल्पनाओ को संजोकर कहानियां लिखने लगे | इनकी प्रारंभिक शिक्षा इनके ही गांव पीपलपानी में हुई तथा आगे की पढाई हेतु इनका चयन जिले के जवाहर नवोदय विद्यालय चारुवा में हुआ | यहां इन्होने मेट्रिक तक पढाई की तथा कला विषय लेकर इन्होने अपनी बारहवी कक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय बेतुल से पास की | एवं स्नातक की पढाई हरदा डीग्री कॉलेज हरदा (म.प्र.) से पूर्ण की | अपने कॉलेज के दिनों में ये हर सांस्कृतिक, साहित्यिक, विधाओ में हिस्सा लेते थे | वर्त्तमान में गोविन्द लेखन कार्य में सक्रिय है |
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