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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palसाहित्य संसार में नित्य प्रति नवसृजन होता रहता है।साहित्य की विभिन्न विधाओं में कविताओं का स्थान महत्वपूर्ण है और सदैव रहेगा। काव्य सृजन रूपी इस यज्ञ में मेरी काव्य समिधाएं नामक काव्य संग्रह एक समिधा मात्र है जिसमें मैंने अपनी 200 कविताओं के पूर्ण होने पर 25 कविताओं को प्रकाशित करवाकर अपनी
आत्माभिव्यक्ति को प्रकट किया है।सर्वप्रथम गुरु वंदना तत्पश्चात आराध्य भगवान शिव को याद करते हुए ॐ और माँ के चरणों में प्रणाम करते हुए माँ कविता लिखी गयी है फिर अन्य कविताएँ लिखी हैं।कोरोना महामारी के दौरान घोषित लॉक डाउन में स्वयं की परिस्थितियों ,परिवेश और भोक्ता के रूप में कोरोना की अनुभूति कर लॉक डाउन ओर पत्नी,मेरा दस फुट का सार,बदलना है घर,कोरोना प्रभाव जैसी कविताओं को लिखा है। मैने सर्वाधिक कविताएँ नारी पर ही लिखी हैं प्रस्तुत काव्य संग्रह में भी रसोई, नारी की भूमिकाएँ, बेटी नारी के समर्पण त्याग और सामाजिक महत्ता को अभिव्यक्त करती हैं तथा सराय ,श्मशान यात्रा कविताएँ जीवन की नश्वरता को व्यक्त करती हुई वास्तविक सत्य राम नाम सत्य को प्रकट करती हैं। सारांशतः इस काव्य संग्रह में पुरातन ,सामाजिक ओर सामयिक विषयों पर काव्य सृजन करने का प्रयास किया गया है।मेरा यह काव्य संग्रह माँ सरस्वती के चरणों में चढ़ाए उस पुष्प की तरह हो जो वातावरण को सुवासित करता हुआ देश की सीमा के पार भी सुधि पाठकों तक खुशबू फैला दे।
जितेन्द्र कुमार बट्टू
जितेन्द्र कुमार बट्टू का जन्म जोधपुर राजस्थान में 20 अक्टूबर ,1977 में एक पुष्करणा ब्राह्मण परिवार में हुआ।इनके पिता का नाम श्री साँवल दास बट्टू ओर माता का नाम श्री भँवरी देवी बट्टू है। मूलतः जैसलमेर निवासी इस परिवार में इनके दो भाई ओर एक बहिन हैं जो सभी इनसे बड़े हैं। इनके पिता पेशे से अध्यापक थे। बारवीं की शिक्षा पूर्ण होते ही पिता जी का देहावसान हो गया।आगे की पढ़ाई करते हुए इन्होंने स्नातक ओर स्नातकोत्तर (हिंदी) में किया तथा साथ ही रेडियो एन्ड टीवी में ITI , इलेक्टोनिक्स में डिप्लोमा ,टेली भी किया। कुछ वर्षों तक इन्होंने रेडियो और टेलीविजन मरम्मत ओर निर्माण का कार्य किया। एम.ए . हिंदी के दौरान कविता लेखन प्रारंभ किया ।लेकिन कविता लेखन बंद हो गया और अध्यापन कार्य शुरू किया ।2004 में नीलू पुरोहित के साथ इनका विवाह हो गया। अध्यापन छोड़ कर दवा प्रतिनिधि के रूप में बिकानेर, भीलवाड़ा, अजमेर ओर जोधपुर में कार्य किया।2007 में इन्होंने श्री जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज से दीक्षा ली। 2008 में बीएड, 2012 में एमएड की। बीएड कॉलेज, ऐश्वर्या कॉलेज हनवंत स्कूल, अरविंदो स्कूल और अपैक्स स्कूल में अध्यापन कार्य किया। साथ ही अध्ययन जारी रखते हुए इतिहास तथा समाज शास्त्र में एम. ए . किया। 2018 में पुनः कविता लेखन शुरू किया ।लॉक डाउन के अंतर्गत इन्होंने करीब 150 कवितायें लिखी ओर 200 कवितायें लिख चुके हैं। इनकी कविताएं तुम , नन्ही परी , अकेलापन ओर एक फांक चाँद प्रकाशित हो चुकी हैं।इन्होंने स्त्री जीवन पर सबसे ज्यादा कविताएँ लिखी हैं इसके अलावा देश भक्ति, प्रेम ,व्यंग्य ,पीड़ा ,परिवार ,धर्म और कोरोना महामारी पर भी कविताएँ लिखी हैं। इन्होंने साधना क्षेत्र पर भी कविताएँ लिखी हैं तथा प्रार्थनाएँ,भजन, गीत,संस्मरण,रेखाचित्र और आलेख भी लिखे हैं। 200 कविताएं पूर्ण होने पर इनका अपना पहला काव्य संग्रह मेरी काव्य समिधाएँ नाम से प्रस्तुत है। काव्य लेखन की प्रेरणा देने वालों में मेरी धर्मपत्नी श्रीमती नीलू पुरोहित का नाम विशेष उल्लेखनीय है इसकेअतिरिक्त उत्साह वर्धन करने वालों में ,माताश्री मती भँवरी देवी बट्टू ,श्री रविन्द्र बट्टू,श्री सुरेंद्र बट्टू, श्री पुरूषोत्तम पुरोहित, श्री दिनेशचंद्र रोहित,स्वर्गीय श्रीमती संतोष पुरोहित , श्री मती खुशबू बिस्सा, एडवोकेट भुवनेश छंगाणी ,संपादक श्री साहिल चोपड़ा आदि । प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से सहयोग करने वालों को हृदय से धन्यवाद । समस्त टंकण कार्य मेरे द्वारा मोबाइल पर ही किया गया है इस हेतु कोई त्रुटियाँ रही हो तो क्षमा करना। मेरा प्रथम काव्य संग्रह मेरी काव्य समिधाएँ मेरे पिताजी स्वर्गीय साँवल दास बट्टू और मेरे गुरुदेव श्री जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी
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