एक औरत अपनी जिंदगी में कई भूमिकाएं निभाती है। बेटी, बीवी, बहू और माँ, हर भूमिका में उससे हमेशा सबसे श्रेष्ठ रहने की अपेक्षा की जाती है। पर बदले में उसे मिलता है सिर्फ दुत्कार, बेटों के मुकाबले कम प्यार और सामाजिक शोषण। इसी दर्द को रीतू दुबे ने अपनी कविताओं में बयां किया है। यह किताब उनकी सिर्फ एक छोटी सी कोशिश है समाज़ को सन्देश देने की कि एक औरत की भी अपनी पहचान है। आज ही इस किताब को पढ़ें या किसी को भेंट करें और रीतू दुबे के संग एक औरत को पहचान दिलाने में मदद