Share this book with your friends

Moyen Sushila / मोंय सुशीला

Author Name: Sunil Badal | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

मोंय सुशीला झारखंड के सबसे ज्यादा घनी जनजातीय आबादी वाले गुमला जिले की एक सुंदर आदिवासी युवती की कहानी है जो विभिन्न काल खंडों में पारिवारिक संघर्षों को देखती हुई युवा होने के पहले ही बार-बार सौतेले पिता से लेकर समाज के स्तंभों द्वारा यौन शोषित होती है और  छली जाती है. 

जब संरक्षक समझी जानेवाली पुलिस के पास न्याय मांगने जाती तो वे लोग भी निडरता पूर्वक उसका शोषण करते हैं और बाद में पुलिस विभाग के सबसे बड़े अधिकारी को राष्ट्रीय स्तर पर एक टीवी चैनल एक्सपोज करता है जिसके बाद उसे मुक्ति मिलती है. राष्ट्रीय स्तर पर यह समाचार टीवी चैनलोंए अखबारों और अन्य माध्यमों में फैलता है पर जैसे ही समाचार का महत्व कम होता है लोग उसे भूल जाते हैं और फिर वह उन लोगों के पास जाती है जो समाज के रक्षक और सरकार के प्रतिनिधि माने जाते हैं, पर हर जगह उसे छला जाता है नकारा जाता है, सुशिक्षित सुशीला को मजदूरी तक नहीं करने दी जाती. अंत में वह अपना रास्ता खुद बनाती है और अपनी जैसी सताई हुई लड़कियों के लिए एक आदर्श बन जाती है. पुलिस प्रशासन और माफिया तत्वों के गठजोड़ को बेपर्दा करती एक सत्य घटना पर आधारित यह उपन्यास पत्रकारिता से लगभग 4 दशकों से अधिक समय से जुड़े सुनील बादल ने लिखा है.

Read More...
Paperback
Paperback 199

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

सुनील बादल

सुनील बादल विगत 4 दशकों से लेखन और पत्रकारिता से जुड़े हैं। प्रारम्भिक स्कूली शिक्षा के समय से ही कविता, गज़ल, नाटक, कहानी, लेख और निबन्ध लिखते रहे हैं। बचपन में रंगमंच पर भी अभिनय के लिए कई बार पुरस्कृृत। विभिन्न विधाओं में सैकड़ांे रचनाएं देशभर की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। वर्ष 1980 से पत्रकारिता और लेखन में सक्रिय- रांची एक्सप्रेस, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान, आज, दैनिक भास्कर, प्रभात ख़बर, देशप्राण, झारखंड प्रहरी, झाखरंड जागरण, राष्ट्रीय सागर, राष्ट्रीय खबर, आकाशवाणी दूरदर्शन और ख़बरों में आजकल जैसे राष्ट्रीय व क्षेत्रीय न्यूज चैनलों में कार्य का अनुभव। इसके अलावा हिंदी, उर्दू की कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन। कई डॉक्यूमेंट्री और लघु फ़िल्मों का निर्माण। आकाशवाणी से राष्ट्रीय स्तर पर कई कार्यक्रम प्रसारित। स्थानीय फीचर फिल्मों के लिए भी लेखन। एक उपन्यास आख़री कोशिश पर मंुबई में फिल्म निर्माणाधीन। आकाशवाणी रांची में कई लोकप्रिय कार्यक्रमों के पूर्व प्रस्तोता। कई साहित्यिक, सांस्कृृतिक संस्थाओं से जुड़ाव। झारखंड हिन्दी साहित्य संस्कृृति मंच के पूर्व सचिव। सम्प्रति - प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन। नवभारत टाइम्स में ब्लॉग - सच की परछाईं।

Read More...

Achievements

+3 more
View All